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अप्रैल, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

*आईपीएल में जबरदस्त ट्विस्ट 111 रन का छोटा सा स्कोर बनाकर भी पंजाब किंग्स जीते ।*

 *आईपीएल में जबरदस्त ट्विस्ट 111 रन का छोटा सा स्कोर बनाकर भी पंजाब किंग्स जीते ।* हे भगवान! 111 रन बनाकर भी जीत गई पंजाब – केकेआर की बल्लेबाज़ी गई घूमने! – आईपीएल 2025 का सबसे चौंकाऊ ट्विस्ट! क्या आपने कभी सोचा है कि 111 रन बनाकर कोई टीम आईपीएल में मैच जीत सकती है? नहीं ना! लेकिन आज हुआ कुछ ऐसा ही, जिसने क्रिकेट प्रेमियों के होश ही उड़ा दिए! पंजाब की पारी: “थोड़ा ही सही, मगर दिल से”  पंजाब किंग्स ने टॉस जीतकर पहले बल्ला थाम लिया… और फिर मानो बल्ला ही पकड़ना भूल गए! पूरे 20 ओवर खेलकर सिर्फ 111 रन बनाए – ऐसा लगा जैसे बल्लेबाजों ने व्रत रखा हो। कि नहीं नहीं आज रन ज्यादा नहीं बनाऊंगा। लेकिन असली कहानी तो बाद में शुरू हुई… श्रेयस अय्यर की कप्तानी और केकेआर की गेंदबाजी: “कमाल का तड़का” अय्यर ने गेंदबाजों को ऐसे घुमाया जैसे शेफ मसाले को करछी से – हर एक ओवर में टाइट लाइन, बढ़िया लेंथ। जाब के बल्लेबाजों को सांस लेने का भी मौका नहीं मिला। लगा जैसे मैच एकतरफा होने जा रहा है… लेकिन ठहरिए, ट्विस्ट बाकी था! केकेआर की बल्लेबाज़ी: “ऐसी भी क्या जल्दी थी भाई?” ये मैच तो तू चल मैं आया वाला हो ...

"मैच हारे तो गुस्से में दर्शकों से भिड़े पाकिस्तानी खिलाड़ी – बोले, अब ट्रॉफी नहीं तो तकरार ही सही!"

 लाहौर से लाइव व्यंग्य – 5 अप्रैल को पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया तीसरा और आखिरी वनडे मैच वैसे तो 43 रन से खत्म हुआ, लेकिन असली मुकाबला तो मैच के बाद शुरू हुआ – जब प्लेइंग इलेवन से बाहर चल रहे खुशदिल शाह ने खुद को 'फील्डिंग से बाहर' और 'लड़ाई के लिए तैयार' मोड में ला दिया। मैच हारने के बाद जब पाकिस्तानी खिलाड़ी भारी मन से मैदान से बाहर जा रहे थे, तभी दर्शकों ने कुछ ‘प्रेरणादायक’ टिप्पणियाँ दीं – जैसे, "इतने रन तो हम गली क्रिकेट में बना लेते हैं!" और "खुशदिल? नाम में ही खुश रहो, खेल तो तुमसे हो नहीं रहा!" बस फिर क्या था, खुशदिल शाह जो पूरे मैच में टीम शीट पर टिके रहे थे, अचानक दर्शक दीर्घा की ओर ऐसे लपके जैसे न्यूजीलैंड के विकेट वहीं छिपे हों। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने कहा – "खेल भले न खेला, लेकिन लड़ाई का हुनर अब भी फिट है!" टीम मैनेजमेंट का बयान – "खुशदिल को मैदान में मौका नहीं मिला, तो उन्होंने सोचा कि कुछ एक्स्ट्रा कर दिखाएं। हम ऐसे ऑलराउंडर की तलाश में थे!" इस पूरे वाकये ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। ट्विटर प...

"क्या अमेरिकी टैरिफ से अमेरिका में आर्थिक मंदी आ सकती है?"

नए टैरिफ के असर से अमेरिका में मंदी (Recession) का खतरा बढ़ सकता है। जब अमेरिका किसी देश (जैसे चीन, भारत या यूरोपीय देशों) से आयात होने वाले सामान पर टैरिफ लगाता है, तो इसका असर कई स्तरों पर पड़ता है, जिससे आर्थिक मंदी की संभावना बढ़ सकती है। कैसे अमेरिकी टैरिफ मंदी ला सकते हैं? 1. महंगाई (Inflation) बढ़ेगी जब किसी आयातित सामान पर टैरिफ लगता है, तो वह अमेरिकी बाजार में महंगा हो जाता है। कंपनियाँ यह बढ़ी हुई लागत ग्राहकों पर डाल देती हैं, जिससे उत्पादों और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। अगर महंगाई ज्यादा बढ़ती है, तो खपत (Consumption) कम हो जाती है, जिससे आर्थिक मंदी की स्थिति आ सकती है। उदाहरण: अगर अमेरिका चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैरिफ बढ़ा देता है, तो iPhones, लैपटॉप और अन्य गैजेट्स महंगे हो जाएंगे, जिससे बिक्री घट सकती है। 2. व्यापार युद्ध से उद्योगों को नुकसान अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है, तो दूसरे देश भी जवाबी टैरिफ लगाते हैं। इससे अमेरिकी कंपनियों का निर्यात (Export) घटता है, जिससे उनकी आमदनी कम हो जाती है। अगर बड़ी कंपनियाँ घाटे में जाती हैं, तो वे कर्मचारियों की छँटनी (...

डॉलर: वैश्विक मुद्रा बनने की यात्रा और सद्दाम का तख्ता पलट*

 *डॉलर: वैश्विक मुद्रा बनने की यात्रा।* मुद्रा का इतिहास वैश्विक सत्ता संतुलन से गहराई से जुड़ा हुआ है। इतिहास में विभिन्न सभ्यताओं और साम्राज्यों ने अपनी-अपनी मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का प्रयास किया, लेकिन आधुनिक युग में अमेरिकी डॉलर ने वैश्विक मुद्रा के रूप में अपनी अटूट पकड़ बना ली। 19वीं और 20वीं शताब्दी में ब्रिटिश पाउंड का वर्चस्व था, लेकिन प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों के बाद अमेरिका की आर्थिक और राजनीतिक ताकत ने डॉलर को प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बना दिया। 1944 के ब्रेटन वुड्स समझौते ने इसे औपचारिक रूप से विश्व व्यापार और वित्तीय लेन-देन की आधारशिला बना दिया।  इसके बाद पेट्रोडॉलर प्रणाली और वैश्विक वित्तीय संस्थानों (IMF, वर्ल्ड बैंक) में डॉलर की अनिवार्यता ने इसे और सुदृढ़ किया। आज अमेरिकी डॉलर न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता और देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में भी प्रमुख स्थान रखता है।  यह जानना आवश्यक है कि डॉलर ने यह स्थान कैसे प्राप्त किया और इसके पीछे कौन-से आर्थिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक कारक कार्यरत रह...

SWIFT प्रणाली का अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा दुरुपयोग

 SWIFT (Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication) एक वैश्विक बैंकिंग संदेश प्रणाली है, जिसका उपयोग बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बीच लेन-देन की सूचना भेजने के लिए किया जाता है। हालांकि, यह एक गैर-सरकारी संगठन है, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय संघ का इस पर प्रभाव काफी मजबूत है। कई मौकों पर इस प्रणाली का राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग किया गया है। 1. ईरान पर SWIFT प्रतिबंध (2012, 2018) 2012 में , अमेरिका और यूरोपीय संघ ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए SWIFT से ईरानी बैंकों को हटा दिया , जिससे ईरान का वैश्विक व्यापार ठप हो गया। 2015 में , जब ईरान ने परमाणु समझौता (JCPOA) किया, तो उसे SWIFT में फिर से जोड़ा गया। 2018 में , अमेरिका ने JCPOA से खुद को अलग कर लिया और फिर से ईरानी बैंकों को SWIFT से प्रतिबंधित कर दिया। इससे ईरान के लिए तेल का निर्यात करना और अन्य देशों के साथ व्यापार करना बेहद मुश्किल हो गया। 2. रूस पर SWIFT प्रतिबंध (2022) यूक्रेन युद्ध (फरवरी 2022) के बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूस के कई बड़े बैंकों को SWIFT से हटा दिया , जिससे ...