नए टैरिफ के असर से अमेरिका में मंदी (Recession) का खतरा बढ़ सकता है। जब अमेरिका किसी देश (जैसे चीन, भारत या यूरोपीय देशों) से आयात होने वाले सामान पर टैरिफ लगाता है, तो इसका असर कई स्तरों पर पड़ता है, जिससे आर्थिक मंदी की संभावना बढ़ सकती है।
कैसे अमेरिकी टैरिफ मंदी ला सकते हैं?
1. महंगाई (Inflation) बढ़ेगी
जब किसी आयातित सामान पर टैरिफ लगता है, तो वह अमेरिकी बाजार में महंगा हो जाता है।
कंपनियाँ यह बढ़ी हुई लागत ग्राहकों पर डाल देती हैं, जिससे उत्पादों और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं।
अगर महंगाई ज्यादा बढ़ती है, तो खपत (Consumption) कम हो जाती है, जिससे आर्थिक मंदी की स्थिति आ सकती है।
उदाहरण: अगर अमेरिका चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैरिफ बढ़ा देता है, तो iPhones, लैपटॉप और अन्य गैजेट्स महंगे हो जाएंगे, जिससे बिक्री घट सकती है।
2. व्यापार युद्ध से उद्योगों को नुकसान
अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है, तो दूसरे देश भी जवाबी टैरिफ लगाते हैं।
इससे अमेरिकी कंपनियों का निर्यात (Export) घटता है, जिससे उनकी आमदनी कम हो जाती है।
अगर बड़ी कंपनियाँ घाटे में जाती हैं, तो वे कर्मचारियों की छँटनी (Layoff) शुरू कर देती हैं, जिससे बेरोज़गारी बढ़ सकती है।
उदाहरण:
जब ट्रम्प प्रशासन ने चीन पर टैरिफ लगाए, तो चीन ने भी अमेरिकी सोयाबीन और ऑटोमोबाइल्स पर टैरिफ लगा दिया। इससे अमेरिकी किसानों और कार निर्माताओं को भारी नुकसान हुआ।
3. निवेश (Investment) में गिरावट
टैरिफ बढ़ने से कंपनियों की लागत बढ़ती है और उनका मुनाफ़ा कम होता है।
जब कंपनियों को घाटा होने लगता है, तो वे नए प्रोजेक्ट्स और निवेश में कटौती करने लगती हैं।
इससे अमेरिका की आर्थिक वृद्धि धीमी हो जाती है, जो मंदी की ओर ले जा सकती है।
उदाहरण: अगर अमेरिकी कंपनियों को स्टील महंगा मिलेगा, तो वे नई फैक्ट्रियाँ लगाने से बचेंगी, जिससे नई नौकरियाँ नहीं बनेंगी।
4. बेरोज़गारी बढ़ सकती है
अगर टैरिफ की वजह से कंपनियाँ नुकसान में जाती हैं, तो वे कर्मचारियों की छँटनी कर सकती हैं।
बेरोज़गारी बढ़ने से लोगों की खरीदने की क्षमता कम हो जाएगी, जिससे बाजार में माँग (Demand) घटेगी।
माँग घटने से कंपनियों को और घाटा होगा, जिससे मंदी का चक्र (Recession Cycle) शुरू हो सकता है।
उदाहरण:
2018 में अमेरिका ने स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ लगाया, जिससे अमेरिकी ऑटोमोबाइल और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री की लागत बढ़ गई और हजारों नौकरियाँ गईं।
5. अमेरिकी डॉलर पर असर
अगर अमेरिका में महंगाई बढ़ती है और उद्योगों को नुकसान होता है, तो अमेरिकी डॉलर की वैश्विक साख (Credibility) घट सकती है।
इससे विदेशी निवेशक अमेरिकी बाजार से पैसा निकाल सकते हैं, जिससे शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है।
स्टॉक मार्केट में गिरावट मंदी को और तेज कर सकती है।
क्या मंदी टालने के उपाय हो सकते हैं?
1. व्यापार समझौते (Trade Agreements) – अमेरिका को टैरिफ लगाने की बजाय व्यापारिक साझेदारी को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए।
2. घरेलू उत्पादन को बढ़ावा – अमेरिका को आयात कम करने की बजाय घरेलू उद्योगों की प्रतिस्पर्धा बढ़ानी चाहिए।
3. मुद्रास्फीति नियंत्रण (Inflation Control) – महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार को संतुलित आर्थिक नीतियाँ बनानी होंगी।
4. नौकरी सुरक्षा योजनाएँ – बेरोजगारी बढ़ने की स्थिति में सरकार को नौकरी सुरक्षा योजनाएँ लागू करनी होंगी।
निष्कर्ष
अगर अमेरिका नए टैरिफ लागू करता है, तो इससे महंगाई, बेरोज़गारी और उद्योगों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकता है। हालांकि, मंदी से बचने के लिए अमेरिका को संतुलित व्यापार नीतियाँ अपनानी होंगी।
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