बोरॉन की तलाश में पाकिस्तान: परमाणु सुरक्षा के लिए वैश्विक दरवाज़ों पर दस्तक
हाल ही में पाकिस्तान के एक परमाणु ठिकाने पर हुए मिसाइल हमले के बाद, पूरे देश में परमाणु सुरक्षा को लेकर चिंता गहरा गई है। इस संकट की घड़ी में पाकिस्तान जिस रासायनिक तत्व को सबसे अधिक खोज रहा है, वह है — बोरॉन (Boron)।
परमाणु रिएक्टर में न्यूट्रॉन संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक इस तत्व की आपातकालीन मांग ने पाकिस्तान को कई देशों के दरवाज़े खटखटाने पर मजबूर कर दिया है।
बोरॉन क्यों है इतना जरूरी?
बोरॉन एक ऐसा रासायनिक तत्व है जो न्यूट्रॉन को अवशोषित कर सकता है। परमाणु रिएक्टरों में जब न्यूट्रॉन की गतिविधि असंतुलित हो जाती है — जैसे मिसाइल हमले के बाद हुआ — तब बोरॉन डालने से रिएक्शन को धीमा किया जा सकता है और एक बड़े हादसे से बचा जा सकता है। यही वजह है कि पाकिस्तान इसे किसी भी कीमत पर जल्द से जल्द हासिल करना चाहता है।
किन देशों से मांग रहा है पाकिस्तान बोरॉन?
1. चीन (China)
पाकिस्तान का सबसे करीबी रणनीतिक साझेदार चीन, बोरॉन का एक बड़ा उत्पादक देश है। चीन पहले से पाकिस्तान को रक्षा, परमाणु और तकनीकी सहायता देता रहा है, इसलिए बोरॉन की आपूर्ति में भी चीन अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
2. तुर्की (Turkey)
तुर्की दुनिया के सबसे बड़े बोरॉन उत्पादकों में से एक है। पाकिस्तान और तुर्की के बीच इस्लामिक सहयोग के मजबूत रिश्ते हैं। पाकिस्तान ने हाल के दिनों में तुर्की से औद्योगिक और रक्षा सहयोग को भी तेज़ किया है।
3. रूस (Russia)
रूस एक और ऐसा देश है जो बोरॉन के खनिज भंडार में समृद्ध है। पाकिस्तान ने रूस से कच्चे तेल और गैस के अलावा अब बोरॉन की आपूर्ति की भी मांग की है।
4. ईरान (Iran)
ईरान और पाकिस्तान के संबंध ऐतिहासिक रूप से मधुर रहे हैं। हाल ही में पाकिस्तान ने बोरॉन की सीमित मात्रा की सप्लाई के लिए ईरान से संपर्क साधा है, हालांकि पश्चिमी प्रतिबंध इसमें बाधा बन सकते हैं।
5. दक्षिण कोरिया (South Korea)
तकनीकी रूप से उन्नत दक्षिण कोरिया से भी पाकिस्तान ने बोरॉन आधारित उत्पादों की खरीद को लेकर प्रस्ताव भेजा है।
6. ब्राज़ील (Brazil)
दक्षिण अमेरिका का यह देश भी बोरॉन उत्पादक है, और पाकिस्तान ने संभावित विकल्प के रूप में ब्राज़ील से संपर्क किया है।
भारत से क्यों नहीं ले सकता पाकिस्तान बोरॉन?
भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं, खासकर रक्षा और परमाणु मामलों में। ऐसे में भारत से किसी भी प्रकार की बोरॉन आपूर्ति की संभावना न के बराबर है। इसके अलावा भारत खुद बोरॉन का सीमित उत्पादन करता है और अधिकतर आयात पर निर्भर है।
बोरॉन की कमी से क्या हो सकता है खतरा?
अगर पाकिस्तान बोरॉन समय पर नहीं जुटा पाता, तो उसके परमाणु संयंत्रों में:
ओवरहीटिंग का खतरा बढ़ सकता है
रेडिएशन रिसाव की स्थिति बन सकती है
परमाणु विस्फोट जैसी दुर्घटनाएं हो सकती हैं
यही कारण है कि पाकिस्तान इसे कूटनीतिक प्राथमिकता बनाकर देख रहा है।
बोरॉन अब सिर्फ एक रसायन नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया की रणनीतिक स्थिरता का केंद्र बिंदु बन चुका है। मिसाइल हमले के बाद पाकिस्तान जिस तरह से बोरॉन के लिए दुनिया भर में अपील कर रहा है, वह दर्शाता है कि आधुनिक युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि विज्ञान और संसाधनों के नियंत्रण से भी लड़े जाते हैं।
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