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फ़रवरी, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेडिकल क्षेत्र में कमीशनखोरी: बढ़ता जाल

 मेडिकल क्षेत्र में कमीशनखोरी: बढ़ता जाल भारत में चिकित्सा क्षेत्र को सेवा का क्षेत्र माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में इसमें व्यवसायिकता और मुनाफाखोरी इस कदर हावी हो गई है कि मरीजों का भरोसा डगमगाने लगा है। डॉक्टरों, अस्पतालों, डायग्नोस्टिक सेंटरों और दवा कंपनियों के बीच कमीशनखोरी का जो जाल फैला है, उसने मरीजों को आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान कर दिया है। कैसे काम करता है कमीशनखोरी का सिस्टम? 1. डॉक्टरों को रेफरल कमीशन – कई अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर डॉक्टरों को हर मरीज भेजने पर कमीशन देते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि मरीजों को गैर-जरूरी टेस्ट और इलाज के लिए मजबूर किया जाता है। 2. दवा कंपनियों और डॉक्टरों की मिलीभगत – फार्मा कंपनियां डॉक्टरों को महंगे गिफ्ट, विदेश यात्राएं और अन्य सुविधाएं देकर अपनी दवाएं लिखवाने के लिए प्रेरित करती हैं, भले ही सस्ती और प्रभावी दवाएं बाजार में मौजूद हों। 3. अस्पतालों में पैकेज सिस्टम – प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को महंगे पैकेज के नाम पर गैर-जरूरी टेस्ट और इलाज के लिए बाध्य किया जाता है। यहां तक कि मामूली बीमारियों में भी आईसीयू में भ...

रहस्यमयी कुंभ: दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक मेले में अब भी जारी हैं अंग्रेजों के बनाए ये 7 नियम – जानिए क्या बदला, क्या अब भी वैसा ही है!

 कुंभ मेला: अनसुनी और दुर्लभ जानकारियाँ कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, लेकिन इसके पीछे कई रहस्य और अनसुनी बातें छिपी हैं। यहाँ कुछ ऐसी जानकारियाँ दी जा रही हैं, जो बहुत कम लोग जानते हैं: 1. कुंभ का रहस्यमयी खगोलीय संबंध कुंभ मेले की तिथियाँ ग्रहों की विशेष स्थिति के आधार पर तय होती हैं। जब गुरु (बृहस्पति) और सूर्य एक विशेष राशि (मकर, कुंभ, सिंह, या वृश्चिक) में प्रवेश करते हैं, तब कुंभ का आयोजन किया जाता है। यह संयोग हर 12 साल में एक बार आता है, और हर 144 साल में एक "महाकुंभ" होता है, जिसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है। 2. कुंभ के दौरान पानी का रहस्यमय बदलाव यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि कुंभ मेले के दौरान गंगा, यमुना और क्षिप्रा के जल में औषधीय गुण बढ़ जाते हैं। इसका कारण है ग्रहों की स्थिति और लाखों साधु-संतों द्वारा किए गए मंत्रोच्चार और तप। इस जल को "अमृत तुल्य" माना जाता है, 3. नागा साधुओं का गुप्त जीवन कुंभ मेले में नागा साधु अपने शक्तिशाली योग और सिद्धियों के साथ प्रकट होते हैं, लेकिन साल के बाकी समय वे हिमालय की गु...

"मुफ्तखोरी नहीं, मेहनत से बनेगा भारत मजबूत!"

भारत में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सुविधाओं (जिसे अक्सर "रेवड़ियां बांटना" कहा जाता है) के वितरण का देश की अर्थव्यवस्था पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। ये प्रभाव निम्नलिखित हैं: 1. राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) बढ़ता है सरकार को मुफ्त योजनाओं की लागत सार्वजनिक धन से उठानी पड़ती है। अगर राजस्व संग्रह पर्याप्त नहीं होता, तो सरकार को कर्ज लेना पड़ता है, जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ जाता है और अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ता है। 2. करदाताओं पर बोझ बढ़ता है फ्री सुविधाओं की भरपाई के लिए सरकार कर बढ़ा सकती है, जिससे मध्यम वर्ग और व्यापारी वर्ग पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इससे कर चोरी और निवेश में गिरावट आ सकती है। 3. उत्पादकता और श्रम संस्कृति पर असर अगर लोग मुफ्त सुविधाओं पर निर्भर होने लगते हैं, तो वे मेहनत करके आत्मनिर्भर बनने के बजाय सरकार पर निर्भर रह सकते हैं। यह श्रम संस्कृति और उद्यमशीलता को कमजोर कर सकता है। 4. महंगाई पर असर अगर सरकार अधिक पैसे छापकर मुफ्त योजनाएं चलाती है, तो मुद्रा स्फीति (Inflation) बढ़ सकती है। इससे आम जनता की क्रय शक्ति घट सकती है और जीवन यापन महंगा हो सकत...

भारत में Gen Z की जॉब और बिज़नेस मानसिकता: एक नया दृष्टिकोण

Gen Z, यानी 1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी, पारंपरिक नौकरी और व्यवसाय के पुराने ढर्रे को तोड़ते हुए नई संभावनाओं और डिजिटल अवसरों की ओर बढ़ रही है। यह पीढ़ी सिर्फ एक स्थिर जॉब तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि रिमोट वर्क, फ्रीलांसिंग, स्टार्टअप्स और मल्टीपल इनकम सोर्स को अपनाकर स्वतंत्र और लचीला करियर चाहती है। आज Gen Z के लिए कंफर्टेबल और फिक्स्ड जॉब से ज्यादा स्किल-बेस्ड करियर, डिजिटल एंटरप्रेन्योरशिप और क्रिएटिव इंडस्ट्रीज़ महत्वपूर्ण हो गई हैं। यह पीढ़ी टेक्नोलॉजी-संचालित है और सोशल मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग, स्टॉक ट्रेडिंग, गेमिंग, और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग जैसे अनोखे करियर विकल्पों को भी अपना रही है। इसके अलावा, स्टार्टअप संस्कृति का प्रभाव भी बढ़ रहा है, जहां Gen Z ई-कॉमर्स, क्लाउड किचन, कंटेंट क्रिएशन, और सस्टेनेबल ब्रांड्स जैसे क्षेत्रों में अपना बिज़नेस शुरू कर रही है। वे सिर्फ पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि अपने जुनून (Passion) को फॉलो करने और कुछ नया बनाने की चाहत रखते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि भारत में Gen Z किस तरह से नौकरी और व्यवसाय को देखती है, कौन-से करियर ...

भारत में इंश्योरेंस जागरूकता: स्थिति और आवश्यक कदम

वर्तमान स्थिति भारत में बीमा (इंश्योरेंस) को लेकर जागरूकता धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन अभी भी विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है। अधिकांश लोग जीवन बीमा (Life Insurance) और स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) को केवल एक आवश्यकता के बजाय कर बचाने का साधन मानते हैं। ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के लोगों में बीमा को लेकर जागरूकता और विश्वास की कमी देखी जाती है। चुनौतियाँ अशिक्षा और गलतफहमियाँ: बीमा उत्पादों की जटिलता और सही जानकारी की कमी के कारण लोग इन्हें अनावश्यक मानते हैं। वित्तीय प्राथमिकताएँ: कई लोग बीमा को अतिरिक्त खर्च समझते हैं और इसे लेने से बचते हैं। दावा (क्लेम) प्रक्रिया में समस्याएँ: कई बार जटिल और लंबी क्लेम प्रक्रिया लोगों को बीमा से दूर रखती है। ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच की कमी: बीमा कंपनियों की पहुंच शहरों तक अधिक है, जबकि ग्रामीण भारत में जागरूकता और उपलब्धता की कमी बनी हुई है। डिजिटल जागरूकता की कमी: ऑनलाइन इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने और उसकी शर्तों को समझने में कई लोगों को कठिनाई होती है। महत्वपूर्ण कदम 1. सरकारी और निजी क्षेत्र की भागीदारी सरकार को प्रधान...

"अंगूठा नियम: बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस का स्मार्ट बीमा संदेश"

हाल ही में मैने एक एड देखा जो कि एक बीमा कंपनी का था  जिसमें क्रिकेटर शुभमन गिल अंगूठा दिखाते नजर आ रहे है और इशारा कर रहे है कि आपका लाइफ कवर आपकी इनकम का 10 गुना होना चाहिए , ताकि आपके बाद भी आपकी फैमिली फाइनेंशियली सुरक्षित हो , मेरी उत्सुकता बढ़ी और मैने थोडा और पता किया कि बजाज एलियांज इंश्योरेंस clam का निपटारा कैसे करती है ,यही मुख्य बात थी । जब भी हम बीमा पॉलिसी को चु नते हैं तो उस समय सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक कारक है ,  दावा निपटारे का अनुपात (सीएसआर) , जो यह दर्शाता है कि बीमाकर्ता दावों को कितनी विश्वसनीयता से संसाधित करता है। बजाज आलियांज और LIC दोनों के पास प्रभावशाली CSR आंकड़े हैं, जिसमें बजाज आलियांज ने LIC से थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया है। 2022-23 में, बजाज आलियांज का CSR 99.04% था, जबकि LIC का 98.74% था। यह मामूली अंतर दर्शाता है कि दोनों बीमाकर्ता विश्वसनीय हैं, लेकिन दावा निपटान में दक्षता के मामले में बजाज आलियांज थोड़ा आगे है। तो आते है बजाज एलियांज के एड पर तो भारत की अग्रणी निजी जीवन बीमा कंपनियों में से एक बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस ने अपने ब्...

निर्माण कार्य में क्वार्ट्जाइट का उपयोग

निर्माण क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पत्थरों का उपयोग किया जाता है, जिनमें क्वार्ट्जाइट एक महत्वपूर्ण और बहुपयोगी चट्टान है। इसकी अत्यधिक कठोरता, टिकाऊपन और जलरोधक गुणों के कारण यह भवन निर्माण, सड़क निर्माण और सजावटी उद्देश्यों में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से बनने वाली एक मजबूत चट्टान है, जो समय के साथ न तो आसानी से घिसती है और न ही टूटती है। इसके अलावा, यह ग्रेनाइट की तुलना में अधिक कठोर होती है, जिससे यह एक उत्कृष्ट निर्माण सामग्री बन जाती है। निर्माण कार्य में क्वार्ट्जाइट का उपयोग इसकी सहनशक्ति, सौंदर्य और लंबे समय तक चलने वाली गुणवत्ता के कारण लगातार बढ़ रहा है। क्वार्ट्जाइट्स (Quartzites) क्या होते हैं? क्वार्ट्जाइट एक परिवर्तित (Metamorphic) चट्टान है, जो तब बनती है जब क्वार्ट्ज़-युक्त बलुआ पत्थर (Quartz-rich Sandstone) अत्यधिक तापमान और दबाव में आकर कठोर हो जाता है। इस प्रक्रिया में क्वार्ट्ज के कण आपस में जुड़ जाते हैं, जिससे यह बहुत मजबूत और टिकाऊ चट्टान बनती है। क्वार्ट्जाइट की मुख्य विशेषताएँ: संरचना: मुख्य रूप से क्वार्ट्ज (SiO₂) से बनी होती है।...

Ownership का महत्व

Ownership: किसी भी काम में ज़िम्मेदारी लेना क्यों ज़रूरी है? Ownership का अर्थ क्या है? Ownership का मतलब किसी कार्य की पूरी ज़िम्मेदारी लेना और उसे सफलता तक पहुंचाना है। जब कोई व्यक्ति किसी काम को अपना मानकर करता है, तो उसमें समर्पण, ईमानदारी और नवाचार स्वतः ही आ जाता है। Ownership क्यों ज़रूरी है? 1. ज़िम्मेदारी की भावना विकसित होती है जब आप Ownership लेते हैं, तो आप अपने कार्य को गंभीरता से लेते हैं और उसकी सफलता के लिए पूरी मेहनत करते हैं। 2. कार्य की गुणवत्ता में सुधार होता है जो लोग अपने काम को Ownership के साथ करते हैं, वे अधिक ध्यान और परिश्रम से काम करते हैं, जिससे बेहतर परिणाम मिलते हैं। 3. आत्मनिर्भरता और नवाचार को बढ़ावा मिलता है Ownership लेने वाले व्यक्ति नए और बेहतर तरीकों से काम करने की कोशिश करते हैं, जिससे वे ज्यादा प्रोडक्टिव बनते हैं। 4. नेतृत्व क्षमता विकसित होती है जब आप Ownership लेते हैं, तो आपकी नेतृत्व क्षमता विकसित होती है, जिससे आप अपनी टीम को भी बेहतर तरीके से मार्गदर्शन दे सकते हैं। 5. लक्ष्य प्राप्ति आसान हो जाती है Ownership से काम को प्रभ...

वीबा फूड्स: विराज बहल की संघर्ष से सफलता तक की प्रेरणादायक कहानी | Veeba Foods Success Story

"वीबा फूड्स: संघर्ष से 1000 करोड़ की सफलता तक का सफर" विराज बहल,वीबा फूड्स (Veeba Foods) के संस्थापक और प्रबंध निदेशक, ने अपने उद्यमशीलता (Entrepreneurship) के सफर में कई चुनौतियों का सामना किया है। उन्होंने अपनी पत्नी के घर को बेचकर वीबा" की शुरुआत की, लेकिन पहले दो वर्षों तक उन्हें कोई ऑर्डर नहीं मिला और तो और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं थे।  इस बार के शार्क टैंक इंडिया (Shark Tank India) के चौथे सीजन में, विराज बहल नए जज के रूप में शामिल हुए हैं। उनका मानना है कि यह प्लेटफ़ॉर्म नवाचार और उद्यमशीलता का प्रतीक है, जो भारत के भविष्य को आकार देने वाले साहसी विचारों को प्रस्तुत करता है। एक अग्रणी उपभोक्ता खाद्य ब्रांड (Food Industry) के संस्थापक के रूप में, वे इस क्षेत्र में व्यवसाय निर्माण की जटिलताओं को समझते हैं और स्पष्ट दृष्टिकोण और वास्तविक उपभोक्ता आवश्यकताओं को हल करने की प्रतिबद्धता वाले उद्यमियों को अपने अंतर्दृष्टि और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए उत्सुक हैं।  विराज बहल का यह सफर दृढ़ संकल्प और नवाचार का प्रतीक है, जो आने वाले उद्यमियों के लिए प...

लेक नैट्रॉन - अफ्रीका की रहस्यमयी और खतरनाक झील

लेक नैट्रॉन (Lake Natron) तंजानिया की एक रहस्यमय और अद्भुत झील है, जिसे "मृत झील" भी कहा जाता है। इसकी अत्यधिक क्षारीयता (Alkalinity) और पानी में मौजूद सोडियम कार्बोनेट के कारण इसमें गिरने वाले जीव अक्सर पत्थर जैसे कठोर हो जाते हैं। इस झील का लाल रंग और जीवों पर पड़ने वाले प्रभाव इसे दुनिया की सबसे अनोखी झीलों में से एक बनाते हैं। लेक नैट्रॉन की खासियतें 1. झील की रहस्यमयी संरचना झील का pH स्तर 10.5 तक हो सकता है, जो इसे अत्यधिक क्षारीय बनाता है। पानी में पाए जाने वाले नैट्रॉन (Sodium Carbonate & Bicarbonate) की अधिकता के कारण इसमें गिरने वाले पक्षी और छोटे जीव कठोर होकर पत्थर जैसी संरचना में बदल जाते हैं। 2. झील का लाल रंग क्यों होता है? झील के पानी का रंग लाल या गुलाबी दिखता है, जो इसमें मौजूद हैलोबैक्टीरिया (Halobacteria) और शैवाल (Algae) के कारण होता है। यह सूक्ष्मजीव चरम परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं और झील को एक अनोखा रंग देते हैं। 3. क्या यह झील जीव-जंतुओं के लिए खतरनाक है? अधिकांश जीव इस झील में नहीं रह सकते, लेकिन अल्कलाइन टिलापिया नामक मछली इस पानी में ज...

"जब हथियारों से नहीं जीता जा सके युद्ध, तो पानी बन जाता है सबसे घातक अस्त्र!"

युद्ध और संघर्षों में जल संसाधनों की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। जब युद्ध पारंपरिक हथियारों से आगे बढ़ता है, तो देश पानी को भी एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने लगते हैं। इतिहास में कई बार पानी को दुश्मनों को कमजोर करने, बाढ़ लाने, जल आपूर्ति बाधित करने और सैन्य अभियानों को प्रभावित करने के लिए उपयोग किया गया है। चाहे वह रूस-यूक्रेन युद्ध में बांधों का विनाश हो, भारत-चीन संघर्ष में नदी प्रवाह का नियंत्रण हो, या अमेरिका द्वारा वियतनाम में कृत्रिम वर्षा कराना हो, सभी उदाहरण यह साबित करते हैं कि पानी अब केवल एक प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि युद्ध रणनीति का अहम हिस्सा बन चुका है। इस लेख में हम ऐसे ही महत्वपूर्ण युद्धों और घटनाओं का विश्लेषण करेंगे, जहां पानी को एक हथियार के रूप में प्रयोग किया गया। साथ ही, हम यह भी देखेंगे कि इस तरह की रणनीतियों का क्या प्रभाव पड़ा और भविष्य में जल संसाधनों को लेकर क्या चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं। जल को हथियार के रूप में उपयोग करने वाले प्रमुख युद्ध और देश पानी को हथियार (Water as a Weapon) के रूप में इतिहास में कई बार इस्तेमाल किया गया है। विभ...

गुल्लक से गुडलक : बजट 2025 मध्यमवर्ग में खुशी की लहर !

माध्यम वर्ग अब तक सबसे अधिक असंतुष्ट था ,की हम सरकार के सबसे बड़े सपोर्टर भी है , टैक्स पेयर भी है , पर सरकार बजट में हमे इग्नोर कर देती है , हम पर टैक्स का बोझ इतना है ,कि कुछ बचता ही नहीं , कि किसी इमरजेंसी की सिचुएशन में हमारे हाथ में कुछ नहीं है । लोग सोशल मीडिया पर ट्रोल भी करने लगे थे, कुछ विपक्षी भी एक्टिव थे इस तरह की पोस्ट बनाने में ..  सरकार हरकत में आई और इस बार का आनेवाले बजट की रूपरेखा आपके सामने है । हाल ही में प्रस्तुत किए गए बजट 2025 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए घोषणा की है कि अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा।  इस निर्णय से विशेष रूप से मध्यम वर्ग के वेतनभोगी और स्वरोजगार करने वाले व्यक्तियों को लाभ होगा, जिनकी वार्षिक आय 12 लाख रुपये तक है। इससे उनकी सेविंग और क्रय शक्ति में इजाफा होगा , वे अपनी आवश्यकताओं और बचत के लिए अधिक धनराशि रख सकेंगे। इसके अतिरिक्त, उच्च आय वर्ग के व्यक्तियों को भी कर दरों में बदलाव से लाभ होगा, क्योंकि 25 लाख रुपये तक की आय वालों को 1 लाख रुपये का फायदा होगा।  सरकार ...