मेडिकल क्षेत्र में कमीशनखोरी: बढ़ता जाल भारत में चिकित्सा क्षेत्र को सेवा का क्षेत्र माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में इसमें व्यवसायिकता और मुनाफाखोरी इस कदर हावी हो गई है कि मरीजों का भरोसा डगमगाने लगा है। डॉक्टरों, अस्पतालों, डायग्नोस्टिक सेंटरों और दवा कंपनियों के बीच कमीशनखोरी का जो जाल फैला है, उसने मरीजों को आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान कर दिया है। कैसे काम करता है कमीशनखोरी का सिस्टम? 1. डॉक्टरों को रेफरल कमीशन – कई अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर डॉक्टरों को हर मरीज भेजने पर कमीशन देते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि मरीजों को गैर-जरूरी टेस्ट और इलाज के लिए मजबूर किया जाता है। 2. दवा कंपनियों और डॉक्टरों की मिलीभगत – फार्मा कंपनियां डॉक्टरों को महंगे गिफ्ट, विदेश यात्राएं और अन्य सुविधाएं देकर अपनी दवाएं लिखवाने के लिए प्रेरित करती हैं, भले ही सस्ती और प्रभावी दवाएं बाजार में मौजूद हों। 3. अस्पतालों में पैकेज सिस्टम – प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को महंगे पैकेज के नाम पर गैर-जरूरी टेस्ट और इलाज के लिए बाध्य किया जाता है। यहां तक कि मामूली बीमारियों में भी आईसीयू में भ...
नमस्कार, मैं कीर्ति कापसे, पेशे से पत्रकार और मीडिया स्पेशलिस्ट, लगभग दो दशकों तक देश के प्रतिष्ठित अखबार दैनिक भास्कर , दैनिक नईदुनिया, और डिजिटल मीडिया मीडियावाला.कॉम में बतौर वरिष्ठ पत्रकार और नेशनल GRC हेड के तौर पर अपनी सेवाएं दी है। "शब्द बहुत शक्तिशाली है जो हमारे भीतर छिपी कहानियों को बाहर ले आते है।"