लेक नैट्रॉन (Lake Natron) तंजानिया की एक रहस्यमय और अद्भुत झील है, जिसे "मृत झील" भी कहा जाता है। इसकी अत्यधिक क्षारीयता (Alkalinity) और पानी में मौजूद सोडियम कार्बोनेट के कारण इसमें गिरने वाले जीव अक्सर पत्थर जैसे कठोर हो जाते हैं। इस झील का लाल रंग और जीवों पर पड़ने वाले प्रभाव इसे दुनिया की सबसे अनोखी झीलों में से एक बनाते हैं।
लेक नैट्रॉन की खासियतें
1. झील की रहस्यमयी संरचना
झील का pH स्तर 10.5 तक हो सकता है, जो इसे अत्यधिक क्षारीय बनाता है।
पानी में पाए जाने वाले नैट्रॉन (Sodium Carbonate & Bicarbonate) की अधिकता के कारण इसमें गिरने वाले पक्षी और छोटे जीव कठोर होकर पत्थर जैसी संरचना में बदल जाते हैं।
2. झील का लाल रंग क्यों होता है?
झील के पानी का रंग लाल या गुलाबी दिखता है, जो इसमें मौजूद हैलोबैक्टीरिया (Halobacteria) और शैवाल (Algae) के कारण होता है।
यह सूक्ष्मजीव चरम परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं और झील को एक अनोखा रंग देते हैं।
3. क्या यह झील जीव-जंतुओं के लिए खतरनाक है?
अधिकांश जीव इस झील में नहीं रह सकते, लेकिन अल्कलाइन टिलापिया नामक मछली इस पानी में जीवित रहती है।
यह झील लाखों फ्लेमिंगो पक्षियों के लिए प्रजनन स्थल भी है, क्योंकि यहाँ कोई शिकारी जीव नहीं आ सकता।
4. लेक नैट्रॉन से जुड़ी दिलचस्प बातें
पानी में गिरने वाले मृत पक्षी और जीव कठोर होकर ममी बन जाते हैं।
इसका तापमान गर्मियों में 50°C तक पहुँच सकता है।
यह झील पक्षियों के लिए स्वर्ग है, लेकिन अधिकांश जीवों के लिए जहरीली।
यहाँ पाए जाने वाले बैक्टीरिया मंगल ग्रह जैसे वातावरण में भी जीवित रह सकते हैं।
कैसे पहुँचे?
स्थान: तंजानिया, पूर्वी अफ्रीका
निकटतम हवाई अड्डा: किलिमंजारो इंटरनेशनल एयरपोर्ट
सड़क मार्ग: अरूषा शहर से झील तक पहुँचा जा सकता है।
इसका पानी खारा क्यों है :
लेक नैट्रॉन (Lake Natron) का पानी खारा और अत्यधिक क्षारीय (Alkaline) होने के पीछे कई वैज्ञानिक कारण हैं।
1. झील में प्रवेश करने वाली नदियाँ और खनिज जमाव
इस झील में कई छोटी नदियाँ और झरने गिरते हैं, जिनके पानी में विभिन्न खनिज घुले होते हैं।
पानी वाष्पित होता रहता है, लेकिन झील से कोई भी नदी बाहर नहीं निकलती, जिससे खनिज लगातार जमा होते रहते हैं और पानी खारा होता जाता है।
2. ज्वालामुखीय गतिविधि और सोडा डिपॉजिट
यह झील ग्रेट रिफ्ट वैली में स्थित है, जो एक ज्वालामुखीय क्षेत्र है।
आस-पास की चट्टानों में सोडियम कार्बोनेट (Natron) और अन्य खनिज अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो झील में घुलकर पानी को अत्यधिक क्षारीय और खारा बना देते हैं।
3. उच्च वाष्पीकरण दर
इस क्षेत्र की जलवायु गर्म और शुष्क है, जिससे झील का पानी तेजी से वाष्पित (Evaporate) होता है।
पानी के वाष्पीकरण के बाद खनिजों की सांद्रता बढ़ती जाती है, जिससे झील और अधिक खारी (Saline) और क्षारीय (Alkaline) होती जाती है।
4. नैट्रॉन और ट्रोना की उपस्थिति
झील का पानी विशेष रूप से सोडियम कार्बोनेट (Natron) और ट्रोना (Trona – Sodium Sesquicarbonate) से भरपूर होता है।
यही कारण है कि झील में गिरने वाले मृत पक्षी और अन्य जीव कठोर होकर पत्थर जैसे बन जाते हैं।
5. पानी का लाल या गुलाबी रंग
झील में मौजूद हैलोफिलिक (लवण-प्रेमी) बैक्टीरिया और शैवाल पानी को लाल या गुलाबी रंग देते हैं।
ये सूक्ष्मजीव उच्च खारापन सहन कर सकते हैं और इस कठोर वातावरण में पनपते हैं।
निष्कर्ष
लेक नैट्रॉन का पानी खारा इसलिए है क्योंकि इसमें खनिजों की अत्यधिक मात्रा, ज्वालामुखीय चट्टानों से घुले तत्व, और तेज वाष्पीकरण के कारण नमक की सांद्रता बहुत अधिक हो जाती है। इस झील का वातावरण चरम परिस्थितियों वाला है, जो इसे पृथ्वी की सबसे अनोखी झीलों में से एक बनाता है।लेक नैट्रॉन पृथ्वी की सबसे रहस्यमयी और खतरनाक झीलों में से एक है। इसका अद्भुत पारिस्थितिक तंत्र और जीवों को संरक्षित करने की अनोखी विशेषता इसे वैज्ञानिकों और पर्यटकों के लिए आकर्षक स्थान बनाती है। अगर आप प्रकृति के चमत्कारों को करीब से देखना चाहते हैं, तो लेक नैट्रॉन आपके लिए एक अद्भुत गंतव्य हो सकता है!
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