विषय: क्या आजकल माता-पिता और शिक्षक विद्यार्थियों की लिखावट पर पहले जैसा ध्यान नहीं देते, जिससे हैंडराइटिंग खराब होती जा रही है? कारण और समाधान।
विषय: क्या आजकल माता-पिता और शिक्षक विद्यार्थियों की लिखावट पर पहले जैसा ध्यान नहीं देते, जिससे हैंडराइटिंग खराब होती जा रही है? कारण और समाधान।
विस्तृत विचार:
आजकल तकनीकी युग में बच्चों की शिक्षा का एक बड़ा हिस्सा डिजिटल माध्यमों पर निर्भर हो गया है — जैसे मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट आदि। इससे हाथ से लिखने की आदत धीरे-धीरे कम होती जा रही है। पहले स्कूलों में सुलेख प्रतियोगिताएँ होती थीं, और शिक्षकों द्वारा हर छात्र की कॉपी देखकर लिखावट पर टिप्पणी की जाती थी। माता-पिता भी घर पर बच्चों को साफ-सुथरी लिखावट के लिए प्रेरित करते थे। लेकिन अब पढ़ाई की गति इतनी तेज़ हो गई है कि न शिक्षक और न ही माता-पिता के पास इतना समय रह गया है कि वे लिखावट पर ध्यान दें।
दूसरी ओर, आजकल परीक्षा प्रणाली भी अधिक वस्तुनिष्ठ (Objective) होती जा रही है, जहाँ हाथ से लंबे उत्तर लिखने की आवश्यकता नहीं रहती। इससे भी विद्यार्थियों की लिखने की आदत कमज़ोर पड़ती है। परिणामस्वरूप, उनकी हैंडराइटिंग खराब हो जाती है, जो आगे चलकर उनके आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है।
समाधान के रूप में:
1. स्कूलों में नियमित रूप से सुलेख अभ्यास कराया जाए।
2. शिक्षकों को छात्रों की लिखावट पर व्यक्तिगत ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
3. घर पर माता-पिता बच्चों को दिन में कम से कम 15-20 मिनट सुंदर लेखन का अभ्यास करवाएं।
4. डिजिटल उपकरणों के उपयोग को सीमित कर हाथ से लिखने की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाए।
निष्कर्ष:
हैंडराइटिंग केवल सुंदरता का विषय नहीं, बल्कि यह अनुशासन, अभ्यास और आत्म-अभिव्यक्ति की पहचान है। अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों की सोच साफ और व्यवस्थित हो, तो हमें उनकी लिखावट पर भी उतना ही ध्यान देना होगा।
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