भारत-बांग्लादेश सीमा विवाद पर तकरार तेज: अवैध नागरिकों को जबरन लौटाने पर सेना तक बोली ब्रिगेडियर जनरल का बयान बढ़ा सकता है दोनों देशों के बीच तनाव
भारत-बांग्लादेश सीमा विवाद पर तकरार तेज: अवैध नागरिकों को जबरन लौटाने पर सेना तक बोली
ब्रिगेडियर जनरल का बयान बढ़ा सकता है दोनों देशों के बीच तनाव
ढाका/नई दिल्ली।
भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी आ गई है। इस बार विवाद का कारण है – भारत द्वारा अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को जबरन सीमा पार वापस भेजने की कार्रवाई। बांग्लादेश की सेना ने इस पर खुलकर नाराज़गी जाहिर की है और भारत के रवैये को "अस्वीकार्य" करार दिया है।
बांग्लादेशी सेना के मिलिट्री ऑपरेशंस निदेशालय के निदेशक ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद नजीम-उद-दौला ने कहा है कि,
"भारत की ओर से बिना दस्तावेज वाले बांग्लादेशी नागरिकों को जबरन धक्का देकर सीमा पार भेजना किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमारा बॉर्डर गार्ड बल (BGB) पूरी तरह से सक्षम है और जरूरत पड़ी तो सेना भी आगे कदम उठाने को तैयार है।"
भारत की ओर से कार्रवाई क्यों?
भारतीय एजेंसियों की मानें तो देश में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं, जो न केवल स्थानीय संसाधनों पर बोझ बनते हैं बल्कि कुछ मामलों में सुरक्षा जोखिम भी पैदा करते हैं। हाल ही में गृह मंत्रालय के निर्देश पर कई राज्यों में विशेष अभियान चलाया गया है, जिसमें बिना वैध दस्तावेजों वाले नागरिकों को चिन्हित कर बीजीबी को सौंपा जा रहा है।
बांग्लादेश की आपत्ति का स्वर
बांग्लादेश की आपत्ति सिर्फ भारत की कार्रवाई पर नहीं है, बल्कि उस प्रक्रिया पर है जिसमें बांग्लादेशियों को "धक्का देकर" सीमा पार किया जा रहा है, न कि कानूनी और द्विपक्षीय प्रक्रिया के तहत। सैन्य स्तर पर इस तरह की तीखी टिप्पणी यह दर्शाती है कि मामला सिर्फ प्रशासनिक नहीं, अब राजनीतिक और कूटनीतिक रंग भी ले चुका है।
यूनुस सरकार की छाया?
ब्रिगेडियर जनरल की टिप्पणी यूनुस सरकार के उस बयान की याद दिलाती है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को बांग्लादेश के साथ सम्मानजनक तरीके से बातचीत करनी चाहिए, न कि दबाव की नीति अपनानी चाहिए। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या सेना अब यूनुस सरकार की भाषा बोलने लगी है?
सीमा पर शांति को खतरा?
भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जो ज्यादातर इलाकों में संवेदनशील मानी जाती है। दोनों देशों की सेनाओं और सीमा सुरक्षा बलों के बीच लंबे समय से समन्वय रहा है। लेकिन ऐसे बयान और धक्का-मुक्की की घटनाएं इस समन्वय को खतरे में डाल सकती हैं।
क्या हो सकती है आगे की राह?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर दोनों देशों को बातचीत और द्विपक्षीय सहयोग से हल निकालना चाहिए। अवैध नागरिकों की समस्या एक वास्तविक चुनौती है, लेकिन इसका समाधान कूटनीतिक और मानवीय नजरिए से किया जाना चाहिए।
भारत और बांग्लादेश के संबंध ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से गहरे हैं, लेकिन ऐसे मुद्दों पर टकराव दोनों देशों की जनता और सीमा की स्थिरता पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं। वक्त की मांग है कि दोनों पक्ष शांति और सहयोग की राह अपनाएं
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