"संसद में आज: रेल मंत्री और रील मंत्री का महासंग्राम!"
संसद में आज का दिन कुछ खास रहा। न कोई हंगामा, न कोई वाकआउट, बस हंसी-ठहाकों की रेलगाड़ी पूरे स्पीड से दौड़ती रही। हुआ यूं कि जब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव अपने विभाग की उपलब्धियों की गिनती कर रहे थे, तभी विपक्ष के एक सदस्य ने ताना कस दिया—"आप रेल मंत्री हैं या 'रील' मंत्री?" अब बेचारे मंत्री जी क्या कहते? सोशल मीडिया के इस दौर में रील का असर तो हर जगह है!
लेकिन असली मजा तब आया जब सदन के सबसे अनुभवी (और मजेदार) नेता लालू प्रसाद यादव खड़े हुए। उन्होंने माइक पकड़ा और अपनी खास अंदाज में बोले—
"ई जो रेलवे है न... अब ई पटरियों पे कम, मोबाइल के स्क्रीन पर जादा दौड़त बा!"
बस, इतना सुनते ही पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा। लालू जी आगे बोले—
"हम जब रेल मंत्री रहे, तब ट्रेनिया भी हंसत रही अउर मुसाफिर भी। अब देखिए, जनता ट्रेन में इंतजार कर रही है, अउर रेल मंत्री इंटरनेट पर वायरल हो रहे हैं!"
इस पर एक सांसद ने जोड़ा—"अब तो रेलवे की हर योजना पहले इंस्टाग्राम पर आती है, बाद में पटरियों पर!"
मंत्री जी बेचारे मुस्कुरा दिए। लेकिन मन ही मन जरूर सोच रहे होंगे—"अब अगली बार रेल बजट की घोषणा भी रील बनाकर करनी पड़ेगी!"
संसद में ऐसी हंसी-ठिठोली कम ही देखने को मिलती है। कम से कम इस बार विपक्ष ने गंभीर आरोपों की बजाय मजेदार व्यंग्य-बाण चलाए, जो शायद सीधा दिल में लगे!
खैर, अब देखना यह है कि अगली बार संसद में 'रेल मंत्री' ट्रेंड करेंगे या फिर 'रील मंत्री'?
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