सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

गोवा में कुल कितने क्लब , होटेल्स और रिसॉर्ट है , ये कितने लोगों की आजीविका का श्रोत है ।

 गोवा में होटलों, रिसॉर्ट्स और नाइट क्लबों की सटीक संख्या समय-समय पर बदलती रहती है, और विभिन्न स्रोतों में अलग-अलग आंकड़े मिलते हैं। हालांकि, उपलब्ध जानकारी के आधार पर एक अनुमान प्रस्तुत किया जा सकता है:


होटल्स और रिसॉर्ट्स: गोवा में लगभग 4,000 छोटे-बड़े होटल्स और रिसॉर्ट्स हैं। दिवाली के समय, लगभग 1,100 होटल्स खुले थे, जिनमें 27,000 कमरे उपलब्ध थे, और उनमें से लगभग 25,000 कमरे बुक थे। इसके अलावा, अगस्त 2023 में, गोवा सरकार ने 301 होटलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी, जिन्होंने पर्यटन विभाग के साथ पंजीकरण नहीं कराया था। 


नाइट क्लब्स: गोवा में लगभग 30 से अधिक नाइट क्लब्स हैं, जहां पर्यटक रात्री जीवन का आनंद ले सकते हैं। 


कृपया ध्यान दें कि ये आंकड़े समय के साथ बदल सकते हैं, इसलिए नवीनतम और सटीक जानकारी के लिए गोवा पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट या स्थानीय स्रोतों से संपर्क कर सकते है ।


आजीविका का प्रमुख श्रोत 

गोवा में पर्यटन उद्योग, विशेषकर होटल, रिसॉर्ट और क्लब, राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। हालांकि, इस क्षेत्र से जुड़े रोजगार के सटीक आंकड़े समय-समय पर बदलते रहते हैं और विभिन्न स्रोतों में भिन्न हो सकते हैं।


होटल और रिसॉर्ट्स: गोवा में लगभग 4,000 छोटे-बड़े होटल और रिसॉर्ट हैं, जो हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करते हैं। इनमें प्रबंधन, सेवा, रसोई, सफाई, सुरक्षा, परिवहन और अन्य सहायक सेवाओं में कर्मचारी शामिल हैं।


क्लब और नाइटलाइफ़: गोवा की नाइटलाइफ़ और क्लब संस्कृति भी रोजगार का एक प्रमुख स्रोत है, जहां बारटेंडर, डीजे, सुरक्षा कर्मी, प्रबंधक और अन्य स्टाफ कार्यरत होते हैं।


अन्य संबंधित सेवाएं: पर्यटन उद्योग से जुड़े अन्य क्षेत्रों, जैसे ट्रैवल एजेंसियां, गाइड, परिवहन सेवाएं, हस्तशिल्प विक्रेता और स्थानीय बाजारों में भी बड़ी संख्या में लोग रोजगार पाते हैं।


कुल मिलाकर, गोवा में पर्यटन उद्योग से हजारों लोग अपनी आजीविका कमाते हैं, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।


पर्यटक गोवा क्यों आते है ?



गोवा भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो हर साल लाखों घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करता है। पर्यटक कई कारणों से गोवा आते हैं:


1. सुंदर समुद्र तट


गोवा के 50 से अधिक समुद्र तट, जैसे कि बागा, कैलंगुट, अंजुना, पालोलेम, और कैंडोलिम, पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।


यहाँ सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा बेहद खूबसूरत होता है।



2. नाइटलाइफ़ और पार्टी संस्कृति


गोवा की नाइटलाइफ़, नाइट क्लब, बीच पार्टियां, और कैसिनो विश्व प्रसिद्ध हैं।


लोकप्रिय नाइट क्लब जैसे टीटोज़, काबाना, और मम्बोज़ का जिक्र जरूरी है।



3. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर


गोवा में पुर्तगाली वास्तुकला और चर्च जैसे बॉम जीसस बैसिलिका और सी कैथेड्रल देखने लायक हैं।


यहाँ के किले, जैसे आगुआड़ा और चापोरा किला, इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करते हैं।



4. वाटर स्पोर्ट्स


पर्यटक गोवा में पैरासेलिंग, स्कूबा डाइविंग, जेट स्कीइंग और अन्य रोमांचक जल क्रीड़ाओं का आनंद लेने आते हैं।



5. स्थानीय भोजन और पेय


गोवा के समुद्री भोजन और स्थानीय व्यंजन, जैसे फिश करी, प्रॉन बालचाओ, और विंदालू, प्रसिद्ध हैं।


गोवा की फेनी (स्थानीय शराब) और कॉकटेल का आनंद भी पर्यटक लेते हैं।



6. शांत वातावरण और योग रिट्रीट


गोवा के दक्षिणी हिस्से में पर्यटक शांति और सुकून की तलाश में आते हैं।


यहाँ योग और आयुर्वेदिक स्पा रिट्रीट लोकप्रिय हैं।



7. फेस्टिवल और कार्निवल्स


गोवा का गोवा कार्निवल, सनबर्न फेस्टिवल, और न्यू ईयर पार्टी दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं।


यहाँ के क्रिसमस और ईस्टर के त्योहारों का माहौल भी पर्यटकों को खींचता है।



8. प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीव


गोवा में कई झरने (जैसे दुधसागर) और वन्यजीव अभयारण्य (जैसे भद्रा और बोंडला अभयारण्य) भी हैं।



9. शॉपिंग और बाजार


पर्यटक यहाँ के अंजुना फ्लेस मार्केट और मापुसा बाजार में खरीदारी के लिए आते हैं।



10. सस्ती छुट्टियां और विविध अनुभव


गोवा में सस्ती से लेकर लक्ज़री तक हर तरह के अनुभव उपलब्ध हैं, जो इसे हर वर्ग के पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाते हैं।



गोवा का माहौल, संस्कृति और विविधता इसे भारत का एक अद्वितीय और आकर्षक पर्यटन स्थल बनाते हैं।


हाल ही में गोवा के एक एक्टिविस्ट ने उत्तरी गोवा के क्लबों पर PIL लगाई है जिसमें उनका कहना है कि क्लबों द्वारा ध्वनि प्रदूषण किया जा रहा है अत: इन क्लबों को रात 10 तक बंद किया जाना चाहिए ।

इस पर कोर्ट ने संज्ञान लिया है , और क्लबों  10 बजे तक बंद करने की हिदायत दी है ।

इस का असर पर्यटकों पर पड़ना लाजमी है , पर्यटक गोवा क्यों आते है ,आप ऊपर पढ़ चुके है ।


कई बार PIL बदले की भावना से प्रेरित भी हो सकते है ,

किसी के खिलाफ PIL (Public Interest Litigation) दायर करना जागरूकता (Awareness) का हिस्सा हो सकता है, यदि इसका उद्देश्य सार्वजनिक हित में किसी समस्या का समाधान करना हो। PIL का मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका के माध्यम से जनता की भलाई के लिए मुद्दों को उठाना है।


हालांकि, यदि PIL का उपयोग व्यक्तिगत लाभ, बदले की भावना, या किसी को मानसिक दबाव में डालने के लिए किया जाता है, तो इसे ब्लैकमेलिंग या दुरुपयोग माना जा सकता है।


अंतर समझने के लिए:


1. जागरूकता (Awareness):


PIL दायर करना तब सकारात्मक है, जब यह समाज की भलाई के लिए हो।


जैसे, प्रदूषण, स्वास्थ्य, मानवाधिकारों, या किसी सरकारी नीति की खामियों पर ध्यान आकर्षित करना।




2. ब्लैकमेलिंग:


PIL का दुरुपयोग तब होता है, जब इसे व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने या किसी से आर्थिक या अन्य लाभ लेने के लिए इस्तेमाल किया जाए।


कई बार सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स ने इसे "फ्रिवोलस" या "दुर्भावनापूर्ण" याचिका कहकर खारिज किया है।


निष्कर्ष: PIL दायर करने का मकसद और इरादा तय करता है कि यह जागरूकता का हिस्सा है या ब्लैकमेलिंग। 




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कोंकनस्थ ब्राह्मणों का उत्कर्ष एवं प्रभाव चित्तपावन ब्राह्मणों का प्रदुभाव कैसे हुआ

कोंकनस्थ ब्राह्मण (चितपावन ब्राह्मण) महाराष्ट्र और गोवा-कोंकण क्षेत्र के प्रमुख ब्राह्मण समुदायों में से एक हैं। उनके उत्कर्ष और इस क्षेत्र पर प्रभाव का इतिहास सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक संदर्भों में विशेष रूप से उल्लेखनीय है। 1. कोंकनस्थ ब्राह्मणों का उत्कर्ष उत्पत्ति और इतिहास: कोंकनस्थ ब्राह्मणों को चितपावन ब्राह्मण भी कहा जाता है। उनकी उत्पत्ति और इतिहास को लेकर कई धारणाएँ हैं। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि वे 13वीं-14वीं शताब्दी के दौरान महाराष्ट्र और कोंकण के तटवर्ती क्षेत्रों में बसे। मराठा शासन में भूमिका: शिवाजी महाराज और उनके पश्चात मराठा साम्राज्य के समय कोंकणस्थ ब्राह्मणों ने प्रशासनिक और धार्मिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पेशवा शासनकाल (1713-1818) के दौरान कोंकणास्थ ब्राह्मणों का प्रभाव चरम पर था। पेशवा काल: बालाजी विश्वनाथ, बाजीराव प्रथम और नाना साहेब जैसे प्रमुख पेशवा कोंकनस्थ ब्राह्मण थे। इनके शासनकाल में पुणे और उसके आस-पास कोंकणस्थ ब्राह्मणों ने शिक्षा, संस्कृति और प्रशासन में नेतृत्व प्रदान किया। शिक्षा और नवजागरण: ब्रिटिश काल में कोंकनस्थ ब्रा...

भारत में Gen Z की जॉब और बिज़नेस मानसिकता: एक नया दृष्टिकोण

Gen Z, यानी 1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी, पारंपरिक नौकरी और व्यवसाय के पुराने ढर्रे को तोड़ते हुए नई संभावनाओं और डिजिटल अवसरों की ओर बढ़ रही है। यह पीढ़ी सिर्फ एक स्थिर जॉब तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि रिमोट वर्क, फ्रीलांसिंग, स्टार्टअप्स और मल्टीपल इनकम सोर्स को अपनाकर स्वतंत्र और लचीला करियर चाहती है। आज Gen Z के लिए कंफर्टेबल और फिक्स्ड जॉब से ज्यादा स्किल-बेस्ड करियर, डिजिटल एंटरप्रेन्योरशिप और क्रिएटिव इंडस्ट्रीज़ महत्वपूर्ण हो गई हैं। यह पीढ़ी टेक्नोलॉजी-संचालित है और सोशल मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग, स्टॉक ट्रेडिंग, गेमिंग, और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग जैसे अनोखे करियर विकल्पों को भी अपना रही है। इसके अलावा, स्टार्टअप संस्कृति का प्रभाव भी बढ़ रहा है, जहां Gen Z ई-कॉमर्स, क्लाउड किचन, कंटेंट क्रिएशन, और सस्टेनेबल ब्रांड्स जैसे क्षेत्रों में अपना बिज़नेस शुरू कर रही है। वे सिर्फ पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि अपने जुनून (Passion) को फॉलो करने और कुछ नया बनाने की चाहत रखते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि भारत में Gen Z किस तरह से नौकरी और व्यवसाय को देखती है, कौन-से करियर ...

"Water as a Weapon: कैसे पानी को युद्ध में हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है?"

चीन ब्रह्मपुत्र नदी (जिसे तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो कहा जाता है) पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट बनाने की योजना पर काम कर रहा है। यह परियोजना तिब्बत के मेडोग काउंटी में स्थित है और इसे "यारलुंग त्सांगपो ग्रैंड हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट" के नाम से जाना जाता है। प्रमुख बातें: 1. बांध की क्षमता – इस बांध की पावर जनरेशन क्षमता 60 गीगावाट तक हो सकती है, जो चीन के थ्री गॉर्जेस डैम (22.5 गीगावाट) से भी तीन गुना अधिक होगी। 2. रणनीतिक महत्व – यह चीन के लिए ऊर्जा उत्पादन का एक बड़ा स्रोत होगा और देश की ग्रीन एनर्जी नीतियों को मजबूत करेगा। 3. भारत की चिंताएँ – ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश के लिए एक प्रमुख जलस्रोत है, इसलिए इस विशाल बांध के कारण निचले इलाकों में जल प्रवाह और पर्यावरणीय संतुलन पर असर पड़ सकता है। भारत को आशंका है कि इससे नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे असम और अरुणाचल प्रदेश में जल संकट उत्पन्न हो सकता है। 4. पर्यावरणीय प्रभाव – इस परियोजना से तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के इकोसिस्टम पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है। चीन ने इस परियोजना क...