सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

जॉब क्यों छोड़ देते है कर्मचारी

कर्मचारी जॉब क्यों छोड़ देते है ?

"लोग नौकरियां नहीं छोड़ते, वे बुरे बॉस को छोड़ते हैं।

यही है सच्चाई ,क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है?

लोग काम के बोझ से काम नहीं छोड़ते न ही ऑफिस इसकी वजह होता है । यहां नेतृत्व सबसे बड़ी वजह है।

लोग वास्तव में इन कारणों से अपनी जॉब  छोड़ देते  हैं:


1.करियर विकास की कमी


2.खराब कार्य-जीवन संतुलन


3.प्रबंधकों या सहकर्मियों के साथ टकराव


4.प्रभावहीन संचार


5.स्वायत्तता (आजादी) की कमी


6.पारदर्शिता की कमी


7. प्रशंसा का अभाव


8.अपनेपन का अनुभव न होना


9. बॉस का किसी पर कृपा और किसी से अकारण खुंदक रखना 


कुछ लोग होते है ,जिन्हें चापलूसी पसंद नहीं होती , वो बस  अपना काम ईमानदारी से करते है , पर कुछ लोग इसे अपने प्रति डिसरेस्पेक्ट समझते है ।


लोग नौकरी कई कारणों से छोड़ते हैं, और यह केवल वेतन से जुड़ा मामला नहीं होता। यहां मुख्य कारण दिए गए हैं:


1. करियर विकास की कमी:

जब लोगों को अपनी भूमिका में आगे बढ़ने या नई चीजें सीखने के मौके नहीं मिलते, तो वे निराश हो जाते हैं।


2. खराब कार्य-जीवन संतुलन:

अत्यधिक काम का दबाव और व्यक्तिगत जीवन के लिए समय न मिलना लोगों को थका देता है।


3. विषाक्त कार्य संस्कृति:

जहां नकारात्मकता, राजनीति, या अनुचित व्यवहार हो, वहां लंबे समय तक काम करना मुश्किल हो जाता है।


4. नेतृत्व की समस्याएं:

अयोग्य या असंवेदनशील बॉस लोगों को सबसे ज्यादा निराश करते हैं। अच्छे नेता प्रेरणा देते हैं, जबकि खराब नेता निराशा का कारण बनते हैं।


5. प्रशंसा और मान्यता का अभाव:

अगर कर्मचारियों की मेहनत को सराहा नहीं जाता, तो उन्हें लगता है कि उनकी कद्र नहीं हो रही।


6. पारदर्शिता और विश्वास की कमी:

जब संगठन या प्रबंधक महत्वपूर्ण चीजें छिपाते हैं, तो यह कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना पैदा करता है।


7. संघर्ष:

सहकर्मियों या प्रबंधकों के साथ लगातार विवाद लोगों को नौकरी छोड़ने पर मजबूर करता है।


8. स्वतंत्रता की कमी:

जब कर्मचारियों को अपने काम में निर्णय लेने की आजादी नहीं मिलती, तो वे घुटन महसूस करते हैं।


9. बेहतर अवसर:

जब लोग किसी ऐसी नौकरी को देखते हैं, जो उनकी जरूरतों और इच्छाओं को बेहतर तरीके से पूरा करती हो, तो वे बदलाव के लिए तैयार हो जाते हैं।


निष्कर्ष:

लोग पैसे के लिए नहीं, बल्कि सम्मान, विकास, और एक सकारात्मक वातावरण के लिए नौकरी में बने रहते हैं। जब ये चीजें नहीं मिलतीं, तो वे नौकरी छोड़ देते हैं।


विषाक्त एटमॉस्फियर प्रतिभा को नष्ट करता है: नकारात्मकता, अनुचित प्रथाओं, या खराब संचार से भरे कार्यस्थल की भरपाई कोई भी वित्तीय प्रोत्साहन नहीं कर सकता।


तनाव एक मूक हत्यारा है: अत्यधिक कार्यभार और अवास्तविक अपेक्षाएँ केवल प्रदर्शन पर असर नहीं डालतीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती हैं।


नेतृत्व का महत्व:

लोग सिर्फ अपनी नौकरी के काम नहीं करते, वे अपने लीडर का अनुसरण करते हैं। अच्छे लीडर अपनी टीम को प्रेरित करते हैं, उनकी मदद करते हैं और उन्हें बेहतर महसूस कराते हैं। ऐसे लीडर एक ऐसा माहौल बनाते हैं, जहां लोग वफादार रहते हैं और उद्देश्य महसूस करते हैं।


अगर आप एक बॉस या नियोक्ता हैं, तो सोचिए:


क्या आपकी टीम को लगता है कि उनकी कद्र होती है और वे प्रेरित रहते हैं?


क्या आप उनकी समस्याओं को समय पर सुलझा रहे हैं?


क्या आपने ऐसा माहौल बनाया है जहां लोग बिना डर के काम कर सकें और अपनी पूरी क्षमता दिखा सकें?


कर्मचारियों को रोकने के लिए सिर्फ ज्यादा पैसा देना काफी नहीं है।


जरूरी है कि आप उनके साथ विश्वास का रिश्ता बनाएं, उनके विकास का ध्यान रखें, और ऐसा कार्यस्थल बनाएं जहां उन्हें अपनेपन का एहसास हो।


जब ये नहीं होता तो कर्मचारी काम छोड़ने पर मजबूर हो जाता है । 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कोंकनस्थ ब्राह्मणों का उत्कर्ष एवं प्रभाव चित्तपावन ब्राह्मणों का प्रदुभाव कैसे हुआ

कोंकनस्थ ब्राह्मण (चितपावन ब्राह्मण) महाराष्ट्र और गोवा-कोंकण क्षेत्र के प्रमुख ब्राह्मण समुदायों में से एक हैं। उनके उत्कर्ष और इस क्षेत्र पर प्रभाव का इतिहास सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक संदर्भों में विशेष रूप से उल्लेखनीय है। 1. कोंकनस्थ ब्राह्मणों का उत्कर्ष उत्पत्ति और इतिहास: कोंकनस्थ ब्राह्मणों को चितपावन ब्राह्मण भी कहा जाता है। उनकी उत्पत्ति और इतिहास को लेकर कई धारणाएँ हैं। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि वे 13वीं-14वीं शताब्दी के दौरान महाराष्ट्र और कोंकण के तटवर्ती क्षेत्रों में बसे। मराठा शासन में भूमिका: शिवाजी महाराज और उनके पश्चात मराठा साम्राज्य के समय कोंकणस्थ ब्राह्मणों ने प्रशासनिक और धार्मिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पेशवा शासनकाल (1713-1818) के दौरान कोंकणास्थ ब्राह्मणों का प्रभाव चरम पर था। पेशवा काल: बालाजी विश्वनाथ, बाजीराव प्रथम और नाना साहेब जैसे प्रमुख पेशवा कोंकनस्थ ब्राह्मण थे। इनके शासनकाल में पुणे और उसके आस-पास कोंकणस्थ ब्राह्मणों ने शिक्षा, संस्कृति और प्रशासन में नेतृत्व प्रदान किया। शिक्षा और नवजागरण: ब्रिटिश काल में कोंकनस्थ ब्रा...

भारत में Gen Z की जॉब और बिज़नेस मानसिकता: एक नया दृष्टिकोण

Gen Z, यानी 1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी, पारंपरिक नौकरी और व्यवसाय के पुराने ढर्रे को तोड़ते हुए नई संभावनाओं और डिजिटल अवसरों की ओर बढ़ रही है। यह पीढ़ी सिर्फ एक स्थिर जॉब तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि रिमोट वर्क, फ्रीलांसिंग, स्टार्टअप्स और मल्टीपल इनकम सोर्स को अपनाकर स्वतंत्र और लचीला करियर चाहती है। आज Gen Z के लिए कंफर्टेबल और फिक्स्ड जॉब से ज्यादा स्किल-बेस्ड करियर, डिजिटल एंटरप्रेन्योरशिप और क्रिएटिव इंडस्ट्रीज़ महत्वपूर्ण हो गई हैं। यह पीढ़ी टेक्नोलॉजी-संचालित है और सोशल मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग, स्टॉक ट्रेडिंग, गेमिंग, और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग जैसे अनोखे करियर विकल्पों को भी अपना रही है। इसके अलावा, स्टार्टअप संस्कृति का प्रभाव भी बढ़ रहा है, जहां Gen Z ई-कॉमर्स, क्लाउड किचन, कंटेंट क्रिएशन, और सस्टेनेबल ब्रांड्स जैसे क्षेत्रों में अपना बिज़नेस शुरू कर रही है। वे सिर्फ पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि अपने जुनून (Passion) को फॉलो करने और कुछ नया बनाने की चाहत रखते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि भारत में Gen Z किस तरह से नौकरी और व्यवसाय को देखती है, कौन-से करियर ...

"Water as a Weapon: कैसे पानी को युद्ध में हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है?"

चीन ब्रह्मपुत्र नदी (जिसे तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो कहा जाता है) पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट बनाने की योजना पर काम कर रहा है। यह परियोजना तिब्बत के मेडोग काउंटी में स्थित है और इसे "यारलुंग त्सांगपो ग्रैंड हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट" के नाम से जाना जाता है। प्रमुख बातें: 1. बांध की क्षमता – इस बांध की पावर जनरेशन क्षमता 60 गीगावाट तक हो सकती है, जो चीन के थ्री गॉर्जेस डैम (22.5 गीगावाट) से भी तीन गुना अधिक होगी। 2. रणनीतिक महत्व – यह चीन के लिए ऊर्जा उत्पादन का एक बड़ा स्रोत होगा और देश की ग्रीन एनर्जी नीतियों को मजबूत करेगा। 3. भारत की चिंताएँ – ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश के लिए एक प्रमुख जलस्रोत है, इसलिए इस विशाल बांध के कारण निचले इलाकों में जल प्रवाह और पर्यावरणीय संतुलन पर असर पड़ सकता है। भारत को आशंका है कि इससे नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे असम और अरुणाचल प्रदेश में जल संकट उत्पन्न हो सकता है। 4. पर्यावरणीय प्रभाव – इस परियोजना से तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के इकोसिस्टम पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है। चीन ने इस परियोजना क...