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बुक रिव्यू : "बंच ऑफ थॉट्स"

 "बंच ऑफ थॉट्स" (विचारों का गुच्छा) आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) द्वारा लिखी गई एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। यह पुस्तक आरएसएस की विचारधारा और दृष्टिकोण का प्रमुख स्रोत मानी जाती है। इसमें भारतीय समाज, संस्कृति, राजनीति और राष्ट्रीय एकता पर गोलवलकर के विचारों को प्रस्तुत किया गया है।


पुस्तक की मुख्य बातें


1. राष्ट्रीयता और हिंदू राष्ट्र:


गोलवलकर ने भारत को एक "हिंदू राष्ट्र" के रूप में देखा, जिसमें हिंदू संस्कृति, परंपराएं, और मूल्य राष्ट्रीय जीवन का आधार हों।


उनका मानना था कि भारत की पहचान केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक इकाई है।


2. धर्मनिरपेक्षता की आलोचना:


उन्होंने धर्मनिरपेक्षता को पश्चिमी विचारधारा बताया, जो भारत की सांस्कृतिक जड़ों से मेल नहीं खाती।


उनका तर्क था कि धर्मनिरपेक्षता ने भारतीय समाज में विभाजन पैदा किया है और राष्ट्रीय एकता को कमजोर किया है।


3. अल्पसंख्यकों पर विचार:


गोलवलकर ने अल्पसंख्यकों (विशेष रूप से मुसलमानों और ईसाइयों) की "तुष्टिकरण" नीति की आलोचना की।


उनका मानना था कि भारत में रहने वाले सभी लोगों को भारतीय संस्कृति और मूल्यों को अपनाना चाहिए।


4. जाति व्यवस्था और समाज सुधार:


उन्होंने जाति व्यवस्था को सामाजिक बुराई मानते हुए इसके उन्मूलन का समर्थन किया।


उनके विचार में समाज में एकता और समानता के लिए जाति और छुआछूत जैसी प्रथाओं को समाप्त करना आवश्यक है।


5. भारत की आंतरिक चुनौतियाँ:


उन्होंने कहा कि भारत को बाहरी आक्रमणों से कम और आंतरिक समस्याओं से अधिक खतरा है।


राष्ट्रीय एकता को तोड़ने वाले विभाजनकारी विचारों और नीतियों की उन्होंने कड़ी आलोचना की।


6. पश्चिमी विचारों की आलोचना:


गोलवलकर ने पश्चिमी विचारधाराओं, जैसे साम्यवाद और पूंजीवाद, को भारतीय समाज के लिए अनुपयुक्त बताया।


उन्होंने भारतीय जीवन मूल्यों और आध्यात्मिकता को राष्ट्र निर्माण का आधार माना।


7. आरएसएस की भूमिका:


पुस्तक में आरएसएस की भूमिका को भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक पुनर्जागरण का एक माध्यम बताया गया है।


उन्होंने स्वयंसेवकों से अपेक्षा की कि वे राष्ट्र को समर्पित होकर काम करें।


पुस्तक का महत्व


"बंच ऑफ थॉट्स" आरएसएस और उसके विचारों को समझने के लिए एक अनिवार्य ग्रंथ है।


यह पुस्तक संघ के कार्यकर्ताओं के लिए वैचारिक मार्गदर्शन का काम करती है।


हालांकि, आलोचक इसे एक विवादास्पद पुस्तक मानते हैं, क्योंकि इसमें अल्पसंख्यकों और धर्मनिरपेक्षता पर तीखी टिप्पणियां की गई हैं।


आलोचना


1. आलोचकों का कहना है कि पुस्तक में धार्मिक बहुलवाद की उपेक्षा की गई है।


2. अल्पसंख्यकों के प्रति इसके विचारों को विभाजनकारी और बहिष्कारवादी माना जाता है।


3. कुछ विचार आधुनिक लोकतांत्रिक मूल्यों से मेल नहीं खाते।


"बंच ऑफ थॉट्स" आरएसएस के विचारों को समझने और भारत की राजनीति व समाज पर इसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ है। 


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