मुकेश चंद्राकर की हत्या 1 जनवरी 2025 की रात को हुई। वे उसी दिन रात से लापता थे। हत्या के बाद उनका शव अपराधियों ने एक सेप्टिक टैंक में छिपा दिया।
हत्या का खुलासा 3 जनवरी 2025 को हुआ, जब पुलिस ने बीजापुर जिले में एक ठेकेदार के घर के सेप्टिक टैंक से उनका शव बरामद किया।
मुकेश चंद्राकर ने सड़क निर्माण में बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा किया था, जिसमें ठेकेदार सुरेश चंद्राकर और अन्य लोग शामिल थे। इस खुलासे के बाद, उनकी हत्या की साजिश रचकर इस अपराध को अंजाम दिया गया। हत्या के बाद से इस मामले को लेकर व्यापक जांच और राजनीतिक विवाद जारी हैं।
छत्तीसगढ़ में एक युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की इसलिए बेरहमी से हत्या कर दी गयी क्यों कि उन्होंने सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार को उजागर किया था . 56 करोड़ की सड़क को 102 करोड़ दिखाकर भ्रष्टाचार किया गया. इस भ्रष्टाचार में मुकेश के सगे संबंधी भी लिप्त थे. मुकेश चंद्राकर ने आदिवासियों की समस्या पर रिपोर्टिंग कर और भ्रष्टाचार उजागर कर पत्रकारिता को जिंदा रखा था.
मुकेश चंद्राकर की हत्या केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर किया गया प्रहार है। उनकी नृशंस हत्या न केवल उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का अपमान है, बल्कि यह उन आवाज़ों को चुप कराने का प्रयास है जो सच्चाई को उजागर करने का साहस करती हैं।
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहां आदिवासी समुदायों की समस्याएं अक्सर अनसुनी रह जाती हैं, मुकेश चंद्राकर ने अपनी कलम और साहस के माध्यम से उन्हें एक मंच दिया। भ्रष्टाचार, खासकर सड़कों जैसे बुनियादी ढांचे में, जहां जनता की गाढ़ी कमाई को लूटा जाता है, जिसको उजागर करना बेहद जोखिम भरा है। लेकिन मुकेश ने यह जोखिम उठाया और अपनी जान गंवा दी।
आज पत्रकारिता का एक बड़ा हिस्सा कॉम्फर्ट ज़ोन में सिमट गया है। एसी न्यूज़ रूम से राजनीति, धर्म, और विभाजनकारी एजेंडों पर आधारित डिबेट्स परोसना आसान है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर जाकर आदिवासियों, किसानों, और मजदूरों की समस्याओं को उठाना मुश्किल और खतरनाक हो गया है। मुकेश चंद्राकर जैसे पत्रकार हमें याद दिलाते हैं कि पत्रकारिता केवल एक पेशा नहीं है, यह एक जिम्मेदारी है।
लेकिन जिस तरह उनकी हत्या के बाद देश, नेता, और मुख्यधारा का मीडिया खामोश है, वह चिंता का विषय है। यह खामोशी इस बात का संकेत है कि सत्ता और सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने वालों के लिए समर्थन की कमी हो रही है।
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या का मुख्य कारण उनकी ईमानदार और साहसिक रिपोर्टिंग मानी जा रही है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में सड़क निर्माण परियोजना में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया था।
इस परियोजना में 56 करोड़ रुपये की लागत वाली सड़क को 102 करोड़ रुपये में दिखाया गया, जो एक गंभीर घोटाले की ओर इशारा करता है। इस भ्रष्टाचार में उनके कुछ सगे संबंधी भी लिप्त थे। मुकेश चंद्राकर ने इस गड़बड़ी को उजागर करके सत्ता और स्थानीय प्रभावशाली लोगों के खिलाफ आवाज उठाई, जिससे उनकी जान को खतरा हो गया।
इस मामले में उनकी हत्या को एक सुनियोजित साजिश माना जा रहा है, क्योंकि उन्हें तड़पा-तड़पा कर कुल्हाड़ी से मारा गया। यह घटना न केवल उनकी ईमानदार पत्रकारिता पर हमला है, बल्कि यह भ्रष्टाचारियों के लिए उनकी निष्पक्षता और हिम्मत से पैदा हुए डर को भी दर्शाती है।
इस हत्या के बाद से बड़े स्तर पर नेता, प्रशासन और मुख्यधारा का मीडिया खामोश हैं, जो पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता पर सवाल खड़े करता है। यह घटना लोकतंत्र और स्वतंत्र पत्रकारिता पर गंभीर हमला है।
पत्रकार मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी 2025 की रात से लापता थे। उनकी गुमशुदगी के बाद, पुलिस ने उनकी तलाश शुरू की। 3 जनवरी 2025 को, बीजापुर जिले में एक ठेकेदार के घर के सेप्टिक टैंक से उनका शव बरामद किया गया। पुलिस ने हत्या के शक में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर और उसके परिवार के खिलाफ जांच शुरू की।
SIT ने सुरेश चंद्राकर को हैदराबाद से गिरफ्तार किया है और मामले की विस्तृत जांच जारी है।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले में विशेष जांच टीम (SIT) ने ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में गिरफ्तार किया है।
सुरेश चंद्राकर ने मुकेश की हत्या की योजना बनाई और इसे अंजाम देने के लिए अन्य व्यक्तियों की सहायता ली। मुकेश चंद्राकर ने सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार को उजागर किया था, जिसमें सुरेश चंद्राकर सहित अन्य लोग शामिल थे।
इस खुलासे के बाद, सुरेश ने मुकेश की हत्या की साजिश रची।
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद, उनके मोबाइल फोन को अपराधियों ने साक्ष्य मिटाने के उद्देश्य से नष्ट कर दिया। आरोपियों ने उनके मोबाइल को पत्थरों से कूचकर चकनाचूर किया और फिर उसे नदी में फेंक दिया। गोताखोरों और अन्य साधनों से तलाशी के बावजूद, अब तक मोबाइल फोन बरामद नहीं हो सका है।
हत्या के आरोपी का कांग्रेस से संबंध
सुरेश चंद्राकर का छत्तीसगढ़ की राजनीति में सक्रिय दखल था। वे कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए थे और छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस एससी प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे। उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में भी भेजा गया था।
हालांकि, पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद, राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही सुरेश चंद्राकर को एक-दूसरे का सदस्य बताने लगे।
इस विवाद के बीच, सुरेश चंद्राकर की कांग्रेस नेताओं के साथ तस्वीरें और उनके संबंधों को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने सफाई देते हुए कहा कि सुरेश चंद्राकर कांग्रेस के पदाधिकारी नहीं हैं, बल्कि एक उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता हैं।
इस प्रकार, सुरेश चंद्राकर का राजनीति में दखल स्पष्ट रूप से कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ा हुआ था, लेकिन उनकी भूमिका और संबंधों को लेकर विभिन्न दावे और विवाद सामने आए हैं।
जरूरत है कि इस हत्या की निष्पक्ष जांच हो, दोषियों को कड़ी सजा मिले, और मुकेश चंद्राकर जैसे पत्रकारों की कुर्बानी को व्यर्थ न जाने दिया जाए। साथ ही, पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाए जाएं ताकि सच्चाई को उजागर करने वाले डर के बिना काम कर सकें। उनकी शहादत पत्रकारिता के मूल्यों और हमारे लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई को और मजबूत करती है।
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