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2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Why You Should Invest in Property on Ujjain Road, Indore

Why You Should Invest in Property on Ujjain Road, Indore Investing in property on Ujjain Road, Indore, is a smart move for both end-users and investors. Here's why:  Strategic Location Ujjain Road connects two major cities—Indore and Ujjain—making it a high-traffic and high-demand corridor. The area enjoys excellent road connectivity to the Super Corridor, airport, and major industrial hubs. Growth Potential With multiple real estate projects coming up, Ujjain Road is one of the fastest-growing zones in Indore. Residential, commercial, and township developments are booming, ensuring higher returns in the near future. Proximity to Institutions The region is close to reputed schools, colleges, and healthcare centers like Aurobindo Hospital, making it ideal for families and professional Affordable Prices, High Appreciation Compared to other parts of Indore, property rates on Ujjain Road are still reasonable. This means you can enter at a lower cost and expect significant appreciation ...

Indore Real Estate Boom: Why Now is the Best Time to Invest"

Why Indore is Emerging as a Real Estate Hotspot: Growth and Benefits of Investing in Indore Indore, the cleanest city of India for seven consecutive years, is not just making headlines for its sanitation and smart city infrastructure—it is also becoming a prime destination for real estate investment. With rapid urban development, strong infrastructure, and growing business opportunities, Indore is emerging as a real estate hotspot in central India. Whether you're an investor, NRI, working professional, or someone looking to settle in a peaceful yet well-connected city, Indore offers a promising real estate market full of potential. 1. Strategic Location and Connectivity Indore enjoys a strategic geographical location in Madhya Pradesh, well-connected to major metros like Mumbai, Delhi, and Bhopal. The city has excellent road, rail, and air connectivity: Devi Ahilya Bai Holkar International Airport connects to major Indian cities and some international destinations. Superb highway i...

India-US Trade Talks Fail to Yield Deal Ahead of Tariff Deadline

 India-US Trade Talks Collapse as Deadline Looms: Agriculture, Auto, Steel Remain Sticking Points New Delhi/Washington | July 5, 2025 India’s trade delegation returned from Washington on Friday without securing a much-anticipated interim trade deal with the United States. The failure comes just five days ahead of President Donald Trump’s July 9 deadline to enforce reciprocal tariffs on Indian goods, deepening uncertainty over the future of bilateral trade ties. Led by chief negotiator Rajesh Agrawal, the Indian team had been engaged in talks since June 26, aiming to resolve longstanding disputes and finalize an agreement during External Affairs Minister S. Jaishankar’s visit to Washington. However, core differences—particularly around agriculture, automobiles, and steel—remain unresolved. Commerce Minister Piyush Goyal emphasized India’s firm stance, stating, “India will not sign any deal under pressure or deadlines. We are committed to agreements that serve mutual interests.” Agri...

The Islamic Revolution of Iran: Causes, Course, and Consequences.

The Islamic Revolution of Iran: Causes, Course, and Consequences. The Islamic Revolution of Iran (1979) stands as one of the most influential revolutions of the 20th century. It was not merely a political upheaval but a deep transformation that reshaped Iranian society, governance, economy, foreign policy, and cultural identity. This revolution had far-reaching impacts not only on Iran but also on the entire Middle East and the Islamic world. Pre-Revolution Iran: Historical Background Before the revolution, Iran was a constitutional monarchy under Shah Mohammad Reza Pahlavi. His regime was closely aligned with Western powers, especially the United States and the United Kingdom. However, growing dissatisfaction among various sections of Iranian society gradually led to a widespread movement against the monarchy. Policies of the Shah and Public Discontent: 1. Westernization and Religious Alienation: The Shah initiated rapid modernization and secularization, which included reforms like wo...

Impact of Iran-Israel Conflict on Qatar's Economy: Strategic Implications and Risks

ईरान-इज़राइल संघर्ष का क़तर की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: रणनीतिक निहितार्थ और जोखिम मध्य पूर्व लंबे समय से एक अस्थिर क्षेत्र रहा है, जहाँ एक छोटी सी राजनीतिक चिंगारी व्यापक आर्थिक प्रभाव उत्पन्न कर सकती है। ऐसी ही एक चिंगारी है – ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ता तनाव या संभावित युद्ध। भले ही ये दो देश संघर्ष के मुख्य पात्र हों, लेकिन इस युद्ध के प्रभाव उनकी सीमाओं से परे तक महसूस किए जा सकते हैं। इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है – क़तर। यह एक छोटा लेकिन आर्थिक रूप से मजबूत खाड़ी देश है। इस ब्लॉग में हम विश्लेषण करेंगे कि यह संघर्ष क़तर की अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकता है। 1. क़तर का रणनीतिक स्थान और आर्थिक प्रोफ़ाइल क़तर अरब प्रायद्वीप के उत्तर-पूर्वी तट पर स्थित है और इसका समुद्री सीमा ईरान से मिलती है। यह देश दुनिया का एक प्रमुख LNG (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) निर्यातक है और इसकी अर्थव्यवस्था तीन स्तंभों पर टिकी है: प्राकृतिक गैस और तेल निर्यात विदेशी निवेश एक वैश्विक लॉजिस्टिक और फाइनेंस हब बनने की महत्वाकांक्षा इस पृष्ठभूमि में, किसी भी क्षेत्रीय संघर्ष, विशेष रूप से ...

Qatar-Iran Energy Ties: Strategic Dependence Explained"

"Qatar-Iran Energy Ties: Strategic Dependence Explained" Qatar and Iran share the world’s largest natural gas field, making energy a key link between the two nations. This article explores how much Qatar’s economy depends on Iran through gas cooperation, maritime routes, and geopolitical diplomacy, while highlighting the limits of direct trade dependence. कतर (Qatar) और ईरान (Iran) दोनों खाड़ी क्षेत्र (Gulf Region) के महत्वपूर्ण देश हैं और दोनों की अर्थव्यवस्थाएँ ऊर्जा संसाधनों, विशेष रूप से प्राकृतिक गैस (Natural Gas) पर आधारित हैं। हालांकि कतर की अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष रूप से ईरान पर पूरी तरह निर्भर नहीं है, फिर भी कुछ रणनीतिक और आर्थिक पहलू ऐसे हैं जहाँ कतर आंशिक रूप से ईरान से जुड़ा हुआ है।  कतर की अर्थव्यवस्था की ईरान पर निर्भरता: 1. साझा गैस क्षेत्र – South Pars/North Dome Field कतर और ईरान दुनिया के सबसे बड़े प्राकृतिक गैस क्षेत्र को साझा करते हैं। यह क्षेत्र फारस की खाड़ी में स्थित है: ईरानी पक्ष: South Pars कतर पक्ष: North Dome यह क्षेत्र कतर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ ...

"ड्रीमलाइनर बना डेथलाइनर: बोइंग 787 हादसे ने ली सैकड़ों की जान"

 इंडियन एयरलाइंस का बोइंग 787 हादसा: फिर सवालों के घेरे में बोइंग हाल ही में इंडियन एयरलाइंस के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान के हादसे ने पूरी दुनिया को एक बार फिर हिला कर रख दिया है। यह घटना न केवल यात्रियों के जीवन के लिए खतरा बनी, बल्कि एक बार फिर बोइंग कंपनी की सुरक्षा नीतियों और निर्माण गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगा दिए। इस पोस्ट में हम इस हादसे की विस्तृत जानकारी, पिछले बोइंग 787 हादसों का लेखा-जोखा, और कंपनी की विफलताओं पर चर्चा करेंगे।  ताज़ा हादसे की जानकारी (2025) स्थान: [इंदौर/अहमदाबाद/लंदन - जैसी भी अधिकृत जानकारी हो, वहाँ लिखें] विमान: बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर फ्लाइट नंबर: AI 171 गंतव्य: अहमदाबाद से लंदन गैटविक स्थिति: टेकऑफ़ के कुछ ही समय बाद तकनीकी खराबी के कारण दुर्घटना, कई घायल, कुछ मृतकों की भी पुष्टि हो गई है  इस हादसे में कुल मिलाकर 241 लोग विमान में ही मारे गए, और 1 व्यक्ति (ब्रिटिश‑भारतीयVishwash Kumar Ramesh) ही एकमात्र बचा एक ही जीवित बचे यात्रियों में से । विमान में सवार कुल 242 लोग थे – 230 यात्री और 12 चालक दल सदस्य । इसके अलावा विमान के संस्थान से टकर...

भारत-बांग्लादेश सीमा विवाद पर तकरार तेज: अवैध नागरिकों को जबरन लौटाने पर सेना तक बोली ब्रिगेडियर जनरल का बयान बढ़ा सकता है दोनों देशों के बीच तनाव

भारत-बांग्लादेश सीमा विवाद पर तकरार तेज: अवैध नागरिकों को जबरन लौटाने पर सेना तक बोली ब्रिगेडियर जनरल का बयान बढ़ा सकता है दोनों देशों के बीच तनाव ढाका/नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी आ गई है। इस बार विवाद का कारण है – भारत द्वारा अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को जबरन सीमा पार वापस भेजने की कार्रवाई। बांग्लादेश की सेना ने इस पर खुलकर नाराज़गी जाहिर की है और भारत के रवैये को "अस्वीकार्य" करार दिया है। बांग्लादेशी सेना के मिलिट्री ऑपरेशंस निदेशालय के निदेशक ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद नजीम-उद-दौला ने कहा है कि, "भारत की ओर से बिना दस्तावेज वाले बांग्लादेशी नागरिकों को जबरन धक्का देकर सीमा पार भेजना किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमारा बॉर्डर गार्ड बल (BGB) पूरी तरह से सक्षम है और जरूरत पड़ी तो सेना भी आगे कदम उठाने को तैयार है।" भारत की ओर से कार्रवाई क्यों? भारतीय एजेंसियों की मानें तो देश में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं, जो न केवल स्थानीय संसाधनों पर बोझ बनते हैं बल्कि कुछ मामलों...

शिक्षिका से शासिका तक – मैक्रों का मोहपाश”

  कहते हैं इश्क़ ना उम्र देखता है, ना दर्जा। पर इमैनुएल मैक्रों साहब ने तो इस कहावत को इतिहास में अमर कर दिया। प्रेम की पृष्ठभूमि – 'शिक्षा से शिकार तक' साल था 1993। स्थान: फ्रांस का एक स्कूल। एक होनहार,15 वर्षीय छात्र — इमैनुएल मैक्रों। और दूसरी ओर, उनकी 39 वर्षीय नाट्य-शिक्षिका — ब्रिजिट। ब्रिजिट जी उस समय स्कूल की "ड्रामा क्लास" लेती थीं, लेकिन उनकी खुद की जिंदगी का ड्रामा भी यहीं से शुरू कर बैठीं। उन्होंने क्लास में डायलॉग सिखाया — "Je t’aime" (I love you)... और छात्र मैक्रो ने सीधा दिल पर ले लिया! मैक्रों ने कहा — “मैम, एक न एक दिन मैं आपसे शादी करूंगा।” ब्रिजिट ने पहले कहा — चलो पहले “पढ़ाई पर ध्यान दो, ये बचपना छोड़ो ।” पर फिर सोचा, "बच्चा है, पर समझदार है!" जब ये लव स्टोरी परिवारों को पता चली, तो भूकंप आ गया। घर वालों ने मैक्रों को पेरिस भेज दिया।  मैक्रों के माता-पिता ने कहा — "हमारा बेटा राजनीति में जाएगा, प्रेम में नहीं।" पर ब्रिजिट अड़ी रहीं, और बोलीं — "मैं रचूंगी नया इतिहास राजनीति में और प्रेम में भी!" और देखिए — ...

बोरॉन की तलाश में पाकिस्तान: परमाणु सुरक्षा के लिए वैश्विक दरवाज़ों पर दस्तक

बोरॉन की तलाश में पाकिस्तान: परमाणु सुरक्षा के लिए वैश्विक दरवाज़ों पर दस्तक हाल ही में पाकिस्तान के एक परमाणु ठिकाने पर हुए मिसाइल हमले के बाद, पूरे देश में परमाणु सुरक्षा को लेकर चिंता गहरा गई है। इस संकट की घड़ी में पाकिस्तान जिस रासायनिक तत्व को सबसे अधिक खोज रहा है, वह है — बोरॉन (Boron)। परमाणु रिएक्टर में न्यूट्रॉन संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक इस तत्व की आपातकालीन मांग ने पाकिस्तान को कई देशों के दरवाज़े खटखटाने पर मजबूर कर दिया है। बोरॉन क्यों है इतना जरूरी? बोरॉन एक ऐसा रासायनिक तत्व है जो न्यूट्रॉन को अवशोषित कर सकता है। परमाणु रिएक्टरों में जब न्यूट्रॉन की गतिविधि असंतुलित हो जाती है — जैसे मिसाइल हमले के बाद हुआ — तब बोरॉन डालने से रिएक्शन को धीमा किया जा सकता है और एक बड़े हादसे से बचा जा सकता है। यही वजह है कि पाकिस्तान इसे किसी भी कीमत पर जल्द से जल्द हासिल करना चाहता है। किन देशों से मांग रहा है पाकिस्तान बोरॉन? 1. चीन (China) पाकिस्तान का सबसे करीबी रणनीतिक साझेदार चीन, बोरॉन का एक बड़ा उत्पादक देश है। चीन पहले से पाकिस्तान को रक्षा, परमाणु और तकनीकी सहायता देता रहा ...

IMF की पाकिस्तान को वित्तीय सहायता

 अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने जुलाई 2023 में पाकिस्तान को $3 बिलियन का स्टैंड-बाय अरेंजमेंट (SBA) स्वीकृत किया था, जिससे देश को गंभीर आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिली। यह नौ महीने का कार्यक्रम था, जिसके तहत IMF ने तुरंत लगभग $1.2 बिलियन की राशि जारी की, और शेष राशि किश्तों में प्रदान की गई।   यह वित्तीय सहायता पाकिस्तान की तत्काल भुगतान संतुलन की समस्याओं को हल करने और संभावित डिफ़ॉल्ट से बचने के लिए महत्वपूर्ण थी। इसके बदले में, IMF ने पाकिस्तान से कई आर्थिक सुधारों की मांग की, जिनमें कर आधार का विस्तार, ऊर्जा क्षेत्र में सुधार, और बाजार-निर्धारित विनिमय दर अपनाना शामिल था।   IMF ने यह भी उल्लेख किया कि पाकिस्तान की आर्थिक और वित्तीय स्थिति में हाल के महीनों में सुधार हुआ है, लेकिन विकास दर अभी भी कम है और मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। इसलिए, आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए नीतिगत और सुधारात्मक प्रयासों की आवश्यकता है।   इस कार्यक्रम के अंतर्गत, IMF ने अप्रैल 2024 में अंतिम $1.1 बिलियन की किश्त जारी करने के लिए पाकिस्तान के साथ एक प...

पाकिस्तानी परमाणु ठिकानों पर सैन्य कार्यवाही से पाकिस्तान में खलबली

बोरॉन बना पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा का संकटमोचक मिसाइल हमले के बाद मची खलबली हाल ही में पाकिस्तान के एक संवेदनशील इलाके में हुए "ऑपरेशन सिंदूर" नामक मिसाइल हमले ने पूरे दक्षिण एशिया को हिला कर रख दिया है। इस हमले में निशाना बना पाकिस्तान का एक गुप्त परमाणु हथियार केंद्र, जिससे भारी नुकसान की आशंका जताई जा रही है। हमले के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पाकिस्तान ने बोरॉन (Boron) की आपातकालीन माँग की है। क्यों पड़ी बोरॉन की ज़रूरत? पाकिस्तान के परमाणु रिएक्टर पर मिसाइल से हुए हमले के बाद वहाँ का न्यूट्रॉन संतुलन बिगड़ गया। रिएक्टर को ओवरहीटिंग और विस्फोट से बचाने के लिए बोरॉन की मदद ली जाती है, क्योंकि यह न्यूट्रॉन को अवशोषित कर परमाणु प्रतिक्रिया को धीमा करता है। ऐसे में बोरॉन ही वह तत्व है जो एक बड़े परमाणु हादसे को टाल सकता है। क्या भारत ने किया मिसाइल हमला? पाकिस्तानी मीडिया और रक्षा सूत्रों का दावा है कि इस हमले के पीछे भारत की "गुप्त सैन्य कार्रवाई" हो सकती है। हालांकि भारत सरकार की तरफ से ऐसे किसी भी हमले से साफ इनकार किया गया है। भारत का कहना है कि ...

भारतीय डिफेंस सिस्टम ने S 400 ने 15 पाकिस्तानी मिसाइलों को नाकाम किया*

 *भारतीय डिफेंस सिस्टम ने S 400 ने 15 पाकिस्तानी  मिसाइलों को नाकाम किया*  *पाकिस्तान ने टारगेट किया थे 15भारतीय शहर* 1 बार में 36 टारगेट भेदने में सक्षम 8 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात में, पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमले करने की कोशिश की।  इन हमलों को भारतीय वायुसेना ने S-400 'सुदर्शन चक्र' एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से विफल कर दिया।   S-400 प्रणाली, जो रूस से प्राप्त की गई है, 600 किमी तक के लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है और 400 किमी की दूरी तक उन्हें नष्ट कर सकती है।  इस प्रणाली ने पाकिस्तान द्वारा दागी गई मिसाइलों और ड्रोन को हवा में ही नष्ट कर दिया, जिससे भारत के सैन्य ठिकानों को कोई नुकसान नहीं हुआ।   इसके जवाब में, भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के लाहौर, कराची और सियालकोट में स्थित एयर डिफेंस सिस्टम्स को निशाना बनाकर उन्हें नष्ट कर दिया।   यह पहली बार है जब भारत ने S-400 प्रणाली का वास्तविक युद्ध स्थिति में उपयोग किया है, जिससे इसकी प्रभावशीलता सिद्ध हुई है।   इस स...

पाकिस्तान में ड्रोन हमलों का कहर: दो दर्जन से ज्यादा हमले, चारों तरफ तबाही और हाहाकार

*पाकिस्तान में ड्रोन हमलों का कहर: दो दर्जन से ज्यादा हमले, चारों तरफ तबाही और हाहाकार* पाकिस्तान में हाल के दिनों में ड्रोन हमलों की बाढ़ आ गई है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। सूत्रों के मुताबिक, अब तक दो दर्जन से ज्यादा ड्रोन हमले हो चुके हैं, जिनमें कराची, लाहौर, मियांवाली और खैबर जैसे संवेदनशील इलाकों को निशाना बनाया गया है। इन हमलों ने न केवल आतंकी ठिकानों को तबाह किया, बल्कि आम नागरिकों में भी दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। हमलों का दायरा और नुकसान कराची में बड़ा धमाका: कराची में ड्रोन हमले में सेना से जुड़ी एक इमारत पूरी तरह ध्वस्त हो गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि रात के समय ड्रोन की आवाज के बाद जोरदार विस्फोट हुआ, जिससे आसपास के इलाके में हड़कंप मच गया। आईएसआई मुख्यालय के पास हमला: खबरों के अनुसार, ISI के हैडक्वार्टर के नजदीक भी ड्रोन हमला हुआ, जिसने पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मस्जिदों और क्रिकेट स्टेडियम पर हमले: बहावलपुर में जैश के मरकज की मस्जिद और एक क्रिकेट स्टेडियम भी ड्रोन हमलों का शिकार बने। इन हमलों ने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा की ...

गोलाबारी संकट में घिरी पाक सेना: चीन से आपातकालीन सैन्य मदद की गुहार

पाकिस्तानी सेना इस समय गंभीर रूप से गोला-बारूद की भारी कमी से जूझ रही है, और फ़िलहाल पाकिस्तान के पास बहुत कम सैन्य सामान उपलब्ध है जिसके चलते वह 4-5 दिनों से ज़्यादा युद्ध नहीं लैड सकता, और इसी वजह से पाकिस्तान को अपने सैन्य अभ्यासों को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा है।  विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, वर्तमान स्थिति में पाकिस्तान के पास केवल चार से पांच दिनों तक चलने वाले युद्ध के लिए ही पर्याप्त हथियार और संसाधन उपलब्ध हैं। यह स्थिति भारत द्वारा हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने की संभावित कार्रवाई के मद्देनज़र और भी चिंताजनक हो गई है। इस आशंका से घबराया पाकिस्तान अपने सीमित संसाधनों को बचाने की कोशिश में जुट गया है और अब वह अपनी रक्षा क्षमताओं को तत्काल बढ़ाने के लिए चीन से मदद मांग रहा है। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान ने चीन से 40 वीटी-4 टैंकों की आपातकालीन खरीद का आदेश दिया है। यह कदम दर्शाता है कि पाकिस्तान अपनी रक्षा प्रणाली को जल्द से जल्द मजबूत करना चाहता है ताकि भारत के संभावित सैन्य अभियान का सामना कर सके।  वीटी-4 टैंक चीन द्वारा विकसित ए...

राजस्थान में सबसे ज़्यादा बलात्कार के मामले, गुजरात में सबसे अधिक सज़ा दर – एनसीआरबी 2022 रिपोर्ट*

*राजस्थान में सबसे ज़्यादा बलात्कार के मामले, गुजरात में सबसे अधिक सज़ा दर – एनसीआरबी 2022 रिपोर्ट* नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में बलात्कार के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य में कुल 5,399 बलात्कार के मामले सामने आए। वहीं गुजरात में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में 89.8% की रिकॉर्ड सज़ा दर दर्ज की गई, जो देश में सबसे अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की औसत सज़ा दर केवल 28% है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का मानना है कि अपराध को धर्म या जाति से जोड़ने के बजाय उसके मूल कारणों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। सामाजिक मीडिया पर भी यह बात उठाई जा रही है कि "बलात्कारी का धर्म नहीं, अपराध देखा जाना चाहिए।" लोग मांग कर रहे हैं कि बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के लिए ऐसे कड़े और तेज़ न्यायिक प्रावधान बनाए जाएं, जिनसे पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिले और अपराधियों को कठोर सज़ा। वास्तविक न्याय के लिए कानूनों को सख्त और प्रक्रिया को तेज़ करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुकी है।  पारिवारिक या जान-पहचान के लोगों द्वारा किए ग...

विषय: क्या आजकल माता-पिता और शिक्षक विद्यार्थियों की लिखावट पर पहले जैसा ध्यान नहीं देते, जिससे हैंडराइटिंग खराब होती जा रही है? कारण और समाधान।

 विषय: क्या आजकल माता-पिता और शिक्षक विद्यार्थियों की लिखावट पर पहले जैसा ध्यान नहीं देते, जिससे हैंडराइटिंग खराब होती जा रही है? कारण और समाधान। विस्तृत विचार: आजकल तकनीकी युग में बच्चों की शिक्षा का एक बड़ा हिस्सा डिजिटल माध्यमों पर निर्भर हो गया है — जैसे मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट आदि। इससे हाथ से लिखने की आदत धीरे-धीरे कम होती जा रही है। पहले स्कूलों में सुलेख प्रतियोगिताएँ होती थीं, और शिक्षकों द्वारा हर छात्र की कॉपी देखकर लिखावट पर टिप्पणी की जाती थी। माता-पिता भी घर पर बच्चों को साफ-सुथरी लिखावट के लिए प्रेरित करते थे। लेकिन अब पढ़ाई की गति इतनी तेज़ हो गई है कि न शिक्षक और न ही माता-पिता के पास इतना समय रह गया है कि वे लिखावट पर ध्यान दें। दूसरी ओर, आजकल परीक्षा प्रणाली भी अधिक वस्तुनिष्ठ (Objective) होती जा रही है, जहाँ हाथ से लंबे उत्तर लिखने की आवश्यकता नहीं रहती। इससे भी विद्यार्थियों की लिखने की आदत कमज़ोर पड़ती है। परिणामस्वरूप, उनकी हैंडराइटिंग खराब हो जाती है, जो आगे चलकर उनके आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है। समाधान के रूप में:  1. स...

*आईपीएल में जबरदस्त ट्विस्ट 111 रन का छोटा सा स्कोर बनाकर भी पंजाब किंग्स जीते ।*

 *आईपीएल में जबरदस्त ट्विस्ट 111 रन का छोटा सा स्कोर बनाकर भी पंजाब किंग्स जीते ।* हे भगवान! 111 रन बनाकर भी जीत गई पंजाब – केकेआर की बल्लेबाज़ी गई घूमने! – आईपीएल 2025 का सबसे चौंकाऊ ट्विस्ट! क्या आपने कभी सोचा है कि 111 रन बनाकर कोई टीम आईपीएल में मैच जीत सकती है? नहीं ना! लेकिन आज हुआ कुछ ऐसा ही, जिसने क्रिकेट प्रेमियों के होश ही उड़ा दिए! पंजाब की पारी: “थोड़ा ही सही, मगर दिल से”  पंजाब किंग्स ने टॉस जीतकर पहले बल्ला थाम लिया… और फिर मानो बल्ला ही पकड़ना भूल गए! पूरे 20 ओवर खेलकर सिर्फ 111 रन बनाए – ऐसा लगा जैसे बल्लेबाजों ने व्रत रखा हो। कि नहीं नहीं आज रन ज्यादा नहीं बनाऊंगा। लेकिन असली कहानी तो बाद में शुरू हुई… श्रेयस अय्यर की कप्तानी और केकेआर की गेंदबाजी: “कमाल का तड़का” अय्यर ने गेंदबाजों को ऐसे घुमाया जैसे शेफ मसाले को करछी से – हर एक ओवर में टाइट लाइन, बढ़िया लेंथ। जाब के बल्लेबाजों को सांस लेने का भी मौका नहीं मिला। लगा जैसे मैच एकतरफा होने जा रहा है… लेकिन ठहरिए, ट्विस्ट बाकी था! केकेआर की बल्लेबाज़ी: “ऐसी भी क्या जल्दी थी भाई?” ये मैच तो तू चल मैं आया वाला हो ...

"मैच हारे तो गुस्से में दर्शकों से भिड़े पाकिस्तानी खिलाड़ी – बोले, अब ट्रॉफी नहीं तो तकरार ही सही!"

 लाहौर से लाइव व्यंग्य – 5 अप्रैल को पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया तीसरा और आखिरी वनडे मैच वैसे तो 43 रन से खत्म हुआ, लेकिन असली मुकाबला तो मैच के बाद शुरू हुआ – जब प्लेइंग इलेवन से बाहर चल रहे खुशदिल शाह ने खुद को 'फील्डिंग से बाहर' और 'लड़ाई के लिए तैयार' मोड में ला दिया। मैच हारने के बाद जब पाकिस्तानी खिलाड़ी भारी मन से मैदान से बाहर जा रहे थे, तभी दर्शकों ने कुछ ‘प्रेरणादायक’ टिप्पणियाँ दीं – जैसे, "इतने रन तो हम गली क्रिकेट में बना लेते हैं!" और "खुशदिल? नाम में ही खुश रहो, खेल तो तुमसे हो नहीं रहा!" बस फिर क्या था, खुशदिल शाह जो पूरे मैच में टीम शीट पर टिके रहे थे, अचानक दर्शक दीर्घा की ओर ऐसे लपके जैसे न्यूजीलैंड के विकेट वहीं छिपे हों। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने कहा – "खेल भले न खेला, लेकिन लड़ाई का हुनर अब भी फिट है!" टीम मैनेजमेंट का बयान – "खुशदिल को मैदान में मौका नहीं मिला, तो उन्होंने सोचा कि कुछ एक्स्ट्रा कर दिखाएं। हम ऐसे ऑलराउंडर की तलाश में थे!" इस पूरे वाकये ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। ट्विटर प...

"क्या अमेरिकी टैरिफ से अमेरिका में आर्थिक मंदी आ सकती है?"

नए टैरिफ के असर से अमेरिका में मंदी (Recession) का खतरा बढ़ सकता है। जब अमेरिका किसी देश (जैसे चीन, भारत या यूरोपीय देशों) से आयात होने वाले सामान पर टैरिफ लगाता है, तो इसका असर कई स्तरों पर पड़ता है, जिससे आर्थिक मंदी की संभावना बढ़ सकती है। कैसे अमेरिकी टैरिफ मंदी ला सकते हैं? 1. महंगाई (Inflation) बढ़ेगी जब किसी आयातित सामान पर टैरिफ लगता है, तो वह अमेरिकी बाजार में महंगा हो जाता है। कंपनियाँ यह बढ़ी हुई लागत ग्राहकों पर डाल देती हैं, जिससे उत्पादों और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। अगर महंगाई ज्यादा बढ़ती है, तो खपत (Consumption) कम हो जाती है, जिससे आर्थिक मंदी की स्थिति आ सकती है। उदाहरण: अगर अमेरिका चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैरिफ बढ़ा देता है, तो iPhones, लैपटॉप और अन्य गैजेट्स महंगे हो जाएंगे, जिससे बिक्री घट सकती है। 2. व्यापार युद्ध से उद्योगों को नुकसान अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है, तो दूसरे देश भी जवाबी टैरिफ लगाते हैं। इससे अमेरिकी कंपनियों का निर्यात (Export) घटता है, जिससे उनकी आमदनी कम हो जाती है। अगर बड़ी कंपनियाँ घाटे में जाती हैं, तो वे कर्मचारियों की छँटनी (...

डॉलर: वैश्विक मुद्रा बनने की यात्रा और सद्दाम का तख्ता पलट*

 *डॉलर: वैश्विक मुद्रा बनने की यात्रा।* मुद्रा का इतिहास वैश्विक सत्ता संतुलन से गहराई से जुड़ा हुआ है। इतिहास में विभिन्न सभ्यताओं और साम्राज्यों ने अपनी-अपनी मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का प्रयास किया, लेकिन आधुनिक युग में अमेरिकी डॉलर ने वैश्विक मुद्रा के रूप में अपनी अटूट पकड़ बना ली। 19वीं और 20वीं शताब्दी में ब्रिटिश पाउंड का वर्चस्व था, लेकिन प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों के बाद अमेरिका की आर्थिक और राजनीतिक ताकत ने डॉलर को प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बना दिया। 1944 के ब्रेटन वुड्स समझौते ने इसे औपचारिक रूप से विश्व व्यापार और वित्तीय लेन-देन की आधारशिला बना दिया।  इसके बाद पेट्रोडॉलर प्रणाली और वैश्विक वित्तीय संस्थानों (IMF, वर्ल्ड बैंक) में डॉलर की अनिवार्यता ने इसे और सुदृढ़ किया। आज अमेरिकी डॉलर न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता और देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में भी प्रमुख स्थान रखता है।  यह जानना आवश्यक है कि डॉलर ने यह स्थान कैसे प्राप्त किया और इसके पीछे कौन-से आर्थिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक कारक कार्यरत रह...

SWIFT प्रणाली का अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा दुरुपयोग

 SWIFT (Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication) एक वैश्विक बैंकिंग संदेश प्रणाली है, जिसका उपयोग बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बीच लेन-देन की सूचना भेजने के लिए किया जाता है। हालांकि, यह एक गैर-सरकारी संगठन है, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय संघ का इस पर प्रभाव काफी मजबूत है। कई मौकों पर इस प्रणाली का राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग किया गया है। 1. ईरान पर SWIFT प्रतिबंध (2012, 2018) 2012 में , अमेरिका और यूरोपीय संघ ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए SWIFT से ईरानी बैंकों को हटा दिया , जिससे ईरान का वैश्विक व्यापार ठप हो गया। 2015 में , जब ईरान ने परमाणु समझौता (JCPOA) किया, तो उसे SWIFT में फिर से जोड़ा गया। 2018 में , अमेरिका ने JCPOA से खुद को अलग कर लिया और फिर से ईरानी बैंकों को SWIFT से प्रतिबंधित कर दिया। इससे ईरान के लिए तेल का निर्यात करना और अन्य देशों के साथ व्यापार करना बेहद मुश्किल हो गया। 2. रूस पर SWIFT प्रतिबंध (2022) यूक्रेन युद्ध (फरवरी 2022) के बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूस के कई बड़े बैंकों को SWIFT से हटा दिया , जिससे ...

भारत-म्यांमार संबंधों में नई पहल: भारत ने म्यांमार से सीधे जुड़ने का दिया प्रस्ताव

भारत-म्यांमार संबंधों में नई पहल: भारत ने म्यांमार से सीधे जुड़ने का दिया प्रस्ताव नई दिल्ली: भारत ने अपने पूर्वी पड़ोसी म्यांमार के साथ रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। हाल ही में हुई द्विपक्षीय वार्ता में भारत ने म्यांमार से सीधे सड़क और जलमार्ग के जरिए जुड़ने का प्रस्ताव रखा है। सूत्रों के मुताबिक, भारत इस कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के माध्यम से न केवल म्यांमार बल्कि अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों तक भी अपनी पहुंच बढ़ाना चाहता है। इससे व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। कनेक्टिविटी के प्रमुख बिंदु: सड़क मार्ग: भारत म्यांमार के ज़रिए थाईलैंड और अन्य आसियान देशों तक हाईवे नेटवर्क को मजबूत करना चाहता है। कलादान मल्टीमॉडल प्रोजेक्ट: इस परियोजना के तहत भारत म्यांमार के सितवे पोर्ट को मिज़ोरम से जोड़ रहा है, जिससे पूर्वोत्तर भारत को समुद्री मार्ग तक पहुंच मिलेगी। रणनीतिक लाभ: म्यांमार के ज़रिए भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया के बाजारों तक सीधी पहुंच मिलेगी, जिससे चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना ह...

"खेती की आड़ में टैक्स चोरी – सैटेलाइट से खुली पोल!"

फिलहाल, मोदी सरकार ने खेती की आय पर इनकम टैक्स लगाने का कोई आधिकारिक फैसला नहीं लिया है। हालांकि, सरकार के पास इस पर विचार-विमर्श जरूर हुआ है, क्योंकि बड़े किसानों के नाम पर टैक्स चोरी की खबरें लगातार आ रही हैं। वित्त मंत्रालय और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने कृषि आय में हो रही टैक्स चोरी पर रिपोर्ट तैयार की थी, लेकिन सरकार ने इसे सार्वजनिक नहीं किया। वर्तमान में, किसानों की आय पर इनकम टैक्स नहीं लगता है, चाहे उनकी कमाई कितनी भी हो। 2. खेती से कमाई को लेकर क्या कानून है? भारत में खेती से होने वाली आय पर इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 10(1) के तहत छूट है। इसका मतलब है कि कृषि से होने वाली आय पर कोई टैक्स नहीं लगता, चाहे वह कितनी भी अधिक हो। इसमें फसल उत्पादन, बागवानी, मवेशी पालन, डेयरी फार्मिंग आदि शामिल हैं। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति खेती से जुड़े कारोबार जैसे एग्रो-प्रोसेसिंग, फार्म-हाउस किराया, ठेके पर खेती देने से आय कमाता है, तो उस पर टैक्स लगता है।  3. खेती की आड़ में क्या देश में बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी हो रही है? हां, खेती की आड़ में बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी हो ...

"खबर नहीं, नजरिया बेच रहा है मीडिया!"

  1. भारत का मीडिया अभी किसके साथ है? भारत में मीडिया का एक बड़ा वर्ग सरकार समर्थक रुख अपनाए हुए दिखता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि पूरा मीडिया पक्षपाती हो गया है। भारतीय मीडिया को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है: (A) सरकार समर्थक मीडिया (Pro-Government Media) इस वर्ग में मुख्य रूप से बड़े टीवी चैनल, समाचार पत्र और डिजिटल पोर्टल शामिल हैं, जो सत्ताधारी दल (अभी भाजपा) के समर्थन में खुले तौर पर रिपोर्टिंग करते हैं। विशेषता: इनकी खबरों में सरकार की नीतियों की प्रशंसा अधिक दिखती है, विपक्ष को नकारात्मक रूप में पेश किया जाता है। उदाहरण: ज़ी न्यूज़, रिपब्लिक टीवी, इंडिया टीवी, एबीपी न्यूज़ जैसे चैनल अकसर भाजपा की नीतियों के पक्ष में कवरेज करते हैं। (B) विपक्ष समर्थक मीडिया (Pro-Opposition Media) यह वर्ग अल्पसंख्यक है और अधिकांश डिजिटल पोर्टल और कुछ प्रिंट मीडिया संस्थान इसमें शामिल हैं। ये सरकार की आलोचना को प्राथमिकता देते हैं। विशेषता: ये सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं और विपक्ष को ज्यादा मंच देते हैं। उदाहरण: NDTV (अब अडानी समूह के अधिग्रहण के ब...

"कुणाल कामरा का कॉमेडी पंच या कानूनी पंच?"

 "कुणाल कामरा का कॉमेडी पंच या कानूनी पंच?" कुणाल कामरा ने एक बार फिर माइक उठाया और सत्ता के कान खड़े हो गए! स्टेज पर उन्होंने एक ऐसा जोक मार दिया कि जनता हंसी से लोटपोट हो गई, लेकिन कुछ महानुभावों के सेंसेटिव सेंस ऑफ ह्यूमर को चोट लग गई। फिर क्या था—लोगों ने सोचा, "इस बार कुणाल को कोर्ट का 'कामरा' दिखा दो!" अब कामरा का जोक क्या था, यह तो विवाद में दब गया, लेकिन हंगामा इतना हुआ कि जैसे उन्होंने पंचलाइन नहीं, बल्कि संविधान की धारा 370 हटा दी हो। सोशल मीडिया पर लोग ऐसे नाराज़ हुए जैसे कॉमेडी शो में GST लगा दिया गया हो। विरोधियों का कहना था, "ये कॉमेडियन नहीं, देशद्रोही है!" और समर्थकों ने कहा, "भाई, कॉमेडी का 'कामरा' है, CCTV नहीं जो सबको खुश कर दे!" कामरा के फैंस बोले, "अगर सच बोलने पर मुकदमा होना है, तो हम भी वकील के पास मज़ाक की FIR दर्ज कराएंगे!" उधर, कुणाल को तगड़ी सलाह मिली—"भाई, अब जोक नहीं, जोक से पहले लॉयर हायर कर लिया कर!" 😎

"कोलंबिया विश्वविद्यालय विवाद: रंजनी श्रीनिवासन का अमेरिका छोड़ने का फैसला छात्रों के लिए सब क!"

 🇮🇳"अमेरिका का सपना टूटा, रंजनी श्रीनिवासन ने छोड़ा कोलंबिया विश्वविद्यालय – नस्लभेद और असुरक्षा ने किया मजबूर!"  "फिलिस्तीन-इज़राइल विवाद के बाद कोलंबिया विश्वविद्यालय में बढ़ी अशांति, भारतीय छात्रा ने कहा – अब और नहीं!" हाल ही में भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन का अमेरिका छोड़ने का फैसला सुर्खियों में आ गया है। वह कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही थीं, लेकिन उन्होंने वहां की स्थिति से निराश होकर अमेरिका छोड़ने का निर्णय लिया। इस घटना के बाद कोलंबिया विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा में आ गया है। आइए जानते हैं पूरा मामला: 📰 क्या है पूरा मामला? 1. प्रोटेस्ट और असुरक्षा का माहौल: कोलंबिया विश्वविद्यालय में पिछले कुछ समय से इज़राइल-गाज़ा संघर्ष को लेकर बड़े पैमाने पर छात्र प्रदर्शन हो रहे हैं। कई कैंपसों में फिलिस्तीन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके कारण वहां हिंसक झड़पें और तनाव बढ़ गया। ➡️ रंजनी ने बताया कि कैंपस में लगातार असुरक्षा का माहौल था, जिससे उनकी पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा था। 2. नस्लभेद और भेदभाव: रंजनी ने अपने सोशल मीडिया पो...

खबर : देश विदेश की

🌍 इज़राइल ने ग़ज़ा में उतारी अपनी सेना इज़राइल ने ग़ज़ा पट्टी में हमास के खिलाफ सैन्य कार्रवाई तेज़ कर दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इज़राइली सेना ने ग़ज़ा सिटी में घुसपैठ कर कई इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया है। हमास के ठिकानों को निशाना बनाते हुए हवाई और ज़मीनी हमले किए जा रहे हैं। इज़राइली रक्षा बलों (IDF) ने दावा किया कि उन्होंने हमास की सुरंगों और हथियारों के गोदामों को नष्ट कर दिया है। इस हमले में सैकड़ों फिलिस्तीनी नागरिकों के मारे जाने की खबर है, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। 🔥 नेटज़ेरिम कॉरिडोर पर इज़राइल का कब्ज़ा क्यों? नेटज़ेरिम कॉरिडोर, ग़ज़ा सिटी को दक्षिणी ग़ज़ा से जोड़ने वाला अहम मार्ग है। इज़राइल ने इस पर नियंत्रण कर ग़ज़ा के भीतर हमास की आवाजाही को रोकने की रणनीति अपनाई है। इस कॉरिडोर पर कब्ज़ा करने से इज़राइल का उद्देश्य हमास के रसद आपूर्ति मार्ग को काटना है, जिससे संगठन की सैन्य शक्ति कमजोर हो जाए। इसके अलावा, इज़राइल इस इलाके को अपने सुरक्षा क्षेत्र के रूप में भी इस्तेमाल कर सकता है। 🕊️ क्या डोनाल्ड ट्रंप मिडिल ईस्ट में शांति ला पाएंगे? डोनाल्ड ट्रंप ने ह...

चीन: ड्रैगन की दाढ़ में फंसी दुनियादारी"

 "चीन: ड्रैगन की दाढ़ में फंसी दुनियादारी" एक ज़माना था जब चीन को ‘रहस्यमयी देश’ कहा जाता था, लेकिन अब यह ‘रहस्यमयी’ कम और ‘राक्षसी’ ज्यादा नजर आता है। 1.4 अरब की आबादी वाला यह देश अब जनसंख्या से नहीं, अपने ‘जनरल’ और ‘जनरल स्टोर’ से दुनिया पर राज कर रहा है। चीन ने दुनिया को नूडल्स, चॉपस्टिक और पांडा दिए, लेकिन बदले में मोबाइल ऐप्स का जाल, सस्ते माल का भंडार और 'स्पाई बलून' उड़ाकर सबको हलकान कर दिया। दुनिया जब प्यार-मोहब्बत की बात कर रही थी, तब चीन बैलून छोड़-छोड़कर अमेरिका के कान खड़े कर रहा था। "वन चाइल्ड पॉलिसी" चलाकर चीन ने बच्चों को विलुप्त प्रजाति में बदल दिया और जब आबादी घटी, तो "अब दो बच्चे" का फरमान जारी कर दिया। पर बच्चे पैदा करने से पहले बंदे को बायोमेट्रिक डाटा, पार्टी की अनुमति और शायद शी जिनपिंग की परमीशन भी लेनी पड़े। चीन की इकॉनमी इतनी तेज़ दौड़ी कि चीता भी शर्मा जाए। पहले ‘सिल्क रूट’ से दुनिया को सिल्क बेची, अब ‘बेल्ट एंड रोड’ से सबकी जेब काट रहा है। अफ्रीका से लेकर एशिया तक कर्ज देकर गरीब देशों को ‘ईएमआई’ की जंजीर में जकड़ लिया। इस...

संसद में आज: जब बहस कम और मनोरंजन ज्यादा हुआ!

 संसद में आज: जब बहस कम और मनोरंजन ज्यादा हुआ! राज्यसभा का माहौल आज किसी वीकेंड मसाला मूवी से कम नहीं था। गृह मंत्री अमित शाह जब अपने धुआंधार अंदाज में विपक्ष पर हमलावर थे, तभी TMC सांसद ने उन्हें 'तानाशाह' कह दिया। शाह भी ठहरे पुराने खिलाड़ी, उन्होंने आंखों ही आंखों में ऐसा "तानाशाही लुक" दिया कि TMC सांसद को भी लगा, कहीं यह तानाशाही आरोप हकीकत न बन जाए! वहीं, लोकसभा में रेल मंत्री की एंट्री किसी सीटीमार हीरो जैसी रही। जैसे ही विपक्ष ने उनसे सवाल पूछे, उन्होंने कागज उठाया और ऐसे फाड़ा मानो रेलवे का घाटा नहीं, विपक्ष का मुंह बंद कर रहे हों। विपक्षियों ने सोचा होगा कि वे सवालों की पटरी पर मंत्री को घेर लेंगे, लेकिन रेल मंत्री ने तो एक ही झटके में पटरियों को उखाड़कर विपक्ष को डिब्बे समेत पटका दिया। इधर, मल्लिकार्जुन खरगे साहब भी गजब मूड में थे। उन्होंने मोदी सरकार के एक मंत्री की खुल्लमखुल्ला तारीफ कर दी। कांग्रेसियों ने सोचा कि खरगे जी को सनस्ट्रोक तो नहीं हो गया? लेकिन नहीं! दरअसल, उन्होंने तारीफ तो की, मगर इतने कूटनीतिक अंदाज में कि जिसे तारीफ मिली, वो भी समझ नहीं पा...

"बाइडेन प्रशासन की राजनीति ने अंतरिक्ष यात्रियों की जान खतरे में डाली – एलन मस्क का बड़ा दावा"

"बाइडेन प्रशासन की राजनीति ने अंतरिक्ष यात्रियों की जान खतरे में डाली – एलन मस्क का बड़ा दावा" एलन मस्क ने हाल ही में दावा किया कि उन्होंने नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से वापस लाने की पेशकश की थी, लेकिन बाइडेन प्रशासन ने इसे राजनीतिक कारणों से अस्वीकार कर दिया था。 मस्क के अनुसार, ये अंतरिक्ष यात्री केवल 8 दिनों के मिशन के लिए गए थे, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण वे लगभग 10 महीनों तक ISS पर फंसे रहे। उन्होंने बताया कि स्पेसएक्स छह महीने पहले ही उन्हें वापस ला सकता था, लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए मस्क और स्पेसएक्स से अनुरोध किया कि वे इन अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने में सहायता करें। इसके बाद, स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने सफलतापूर्वक मिशन पूरा किया और अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाया। इस घटना ने बाइडेन प्रशासन की प्राथमिकताओं और निर्णयों पर सवाल उठाए हैं, विशेषकर जब सुरक्षा और अंतरिक्ष यात्रियों की भलाई की बात आती है। मस्क का दावा है कि प्रश...

हीरो" के पहिए क्यों पंचर हो गए?

 "हीरो" के पहिए क्यों पंचर हो गए? 🚲💨 कभी टू-व्हीलर की दुनिया का बेताज बादशाह कहलाने वाला हीरो मोटोकॉर्प अब खुद बैक गियर में फंसा नजर आ रहा है। हाल ये है कि कंपनी के आधे दर्जन बड़े अधिकारी इतने फुर्ती से इस्तीफा दे रहे हैं, जैसे Xtreme 160R की स्पीड टेस्टिंग कर रहे हों। अब सवाल ये है कि ये अधिकारी कंपनी छोड़कर जा रहे हैं या "जबरिया विदाई समारोह" का शिकार हो गए हैं? कंपनी के शेयर भी ऐसी पगली घोड़ी बने हुए हैं कि हर दिन "ड्रैग रेस" करते हुए नीचे ही दौड़ रहे हैं। पिछले 6 महीने में 40% की धुआंधार गिरावट देखकर निवेशकों की हालत ऐसी हो गई है, जैसे स्प्लेंडर की सीट पर बिना कुशन के बैठकर लंबा सफर तय कर लिया हो – सिर में दर्द, कमर में अकड़ और जेब खाली! उधर, TVS ने हीरो को ऐसे पछाड़ा है, जैसे स्पोर्ट्स बाइक वाला स्कूटर वाले को ओवरटेक कर जाए। TVS की स्कूटी अब रेसिंग बाइक को भी पछाड़ने का दम रखती है, जबकि हीरो की गाड़ियां अब "साइलेंट मोड" में चली गई हैं – ना आवाज, ना रफ्तार, बस स्मोक ही स्मोक! हीरो का हाल देखकर तो अब ग्राहक भी सोच रहे हैं कि "हीरो का डा...

ट्रंप-पुतिन वार्ता: दोस्ती या सौदा?

    ट्रंप-पुतिन वार्ता: दोस्ती या सौदा?   ट्रंप और पुतिन की मुलाकात का सीन कुछ ऐसा था जैसे दो पुराने कारोबारी मिले हों – एक ने अमेरिका के गगनचुंबी टॉवर में डील्स की थीं, तो दूसरे ने रूस में सत्ता के ऊंचे सिंहासन पर। बस फर्क इतना था कि इस बार टॉवर और सिंहासन की जगह टेबल थी, जिस पर यूक्रेन बिछा हुआ था। पुतिन ने सीज़फ़ायर के लिए ऐसी शर्तें रखीं कि ट्रंप भी सोचने लगे – "ये डील है या ईएमआई पर क्रीमलिन का अपार्टमेंट?" 😂 पुतिन ने कहा – यूक्रेन अपना आधा हिस्सा रूस को सौंप दे, बाकी पर हम "शांति वार्ता" करेंगे। इस शर्त को सुनकर ट्रंप ने अपनी पुरानी "You're Fired" स्टाइल में ज़ेलेंस्की को फोन मिलाने की सोची, लेकिन नेटवर्क नहीं मिला – शायद यूक्रेन में अभी भी रशियन नेटवर्क चल रहा था! 📞 #RaisinaDialogue2025 में तो नेताओं ने ऐसा भाषण दिया, मानो सभी UN के फुलटाइम शांति-दूत हों। हर कोई कह रहा था – "संवाद ज़रूरी है, युद्ध नहीं" , लेकिन बैकस्टेज सब अपने-अपने देश के रक्षा बजट का एक्स्ट्रा पेज एड करवा रहे थे!  भारत ने वहां शांति का संदेश दिया, तो चीन ने भ...