मौर्य साम्राज्य (321-185 ईसा पूर्व) के दौरान गोवा का ऐतिहासिक और आर्थिक महत्व प्रमुख रूप से उसकी भौगोलिक स्थिति और व्यापारिक गतिविधियों के कारण था। इस काल में गोवा, जिसे प्राचीन ग्रंथों में "गोपराष्ट्र" या "गोवापुरी" कहा गया है, दक्षिण भारत और मौर्य साम्राज्य के पश्चिमी तटीय क्षेत्रों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में उभरा।
मौर्य साम्राज्य के अधीन गोवा का महत्व
1. व्यापारिक केंद्र:
मौर्य साम्राज्य के समुद्री व्यापार में गोवा की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण थी।
यह अरब सागर के किनारे स्थित था और समुद्री मार्गों के जरिए पश्चिमी एशिया, रोमन साम्राज्य, और दक्षिण-पूर्व एशिया से जुड़े व्यापार का हिस्सा था।
इस दौरान मसाले, मोती, और मूल्यवान पत्थरों का व्यापार यहां से किया जाता था।
2. भौगोलिक और रणनीतिक स्थिति:
गोवा की भौगोलिक स्थिति इसे समुद्री व्यापार और नौसैनिक गतिविधियों के लिए उपयुक्त बनाती थी।
मौर्य साम्राज्य के शासक चंद्रगुप्त मौर्य और उनके पोते अशोक ने इस क्षेत्र को अपने साम्राज्य में शामिल कर इसे एक रणनीतिक व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया।
3. धर्म और संस्कृति का प्रचार:
सम्राट अशोक के शासनकाल में, बौद्ध धर्म का प्रचार मौर्य साम्राज्य के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर गोवा जैसे समुद्र तटीय क्षेत्रों में हुआ।
इस काल में बौद्ध विहारों और स्तूपों के निर्माण के प्रमाण गोवा और आसपास के क्षेत्रों में मिलते हैं।
अशोक ने धर्म महामात्र (धार्मिक अधिकारी) नियुक्त किए थे, जिन्होंने इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
4. प्राकृतिक संसाधनों का दोहन:
गोवा अपने खनिज संसाधनों, जैसे लोहे और अन्य धातुओं के लिए भी जाना जाता था।
मौर्य साम्राज्य ने इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग हथियारों और उपकरणों के निर्माण में किया।
5. राजनीतिक महत्व:
मौर्य साम्राज्य के दौरान गोवा एक महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्र था।
यह साम्राज्य के दक्षिणी विस्तार की दृष्टि से महत्वपूर्ण था और मौर्यों ने यहां अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए प्रशासनिक सुधार किए।
साक्ष्य और प्रभाव
मौर्य काल के दौरान गोवा के महत्व को समझने के लिए कई साक्ष्य उपलब्ध हैं:
अशोक के अभिलेख: अशोक के अभिलेखों में गोवा और उसके आसपास के क्षेत्रों में बौद्ध धर्म के प्रचार का उल्लेख है।
पुरातात्विक खोजें: गोवा में प्राचीन बंदरगाहों और व्यापारिक स्थलों के अवशेष मौर्य साम्राज्य के समय की गतिविधियों को दर्शाते हैं।
निष्कर्ष
मौर्य साम्राज्य के समय गोवा एक उभरता हुआ व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र था। इसकी तटीय स्थिति, प्राकृतिक संसाधन, और सामरिक महत्व ने इसे मौर्य प्रशासन और समुद्री व्यापार का अभिन्न हिस्सा बना दिया। मौर्य साम्राज्य की नीतियों और
प्रयासों ने गोवा को उस युग में एक संपन्न क्षेत्र बना दिया।
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