आपका प्रश्न कांग्रेस और उसकी कथित "मुस्लिम परस्ती" (मुस्लिम तुष्टिकरण) पर आधारित है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर भारतीय राजनीति में दशकों से चर्चा होती रही है। इस संदर्भ में कांग्रेस पर कई बार आरोप लगाए गए हैं कि उसने मुसलमानों के वोट हासिल करने के लिए तुष्टीकरण की नीति अपनाई है। हालांकि, कांग्रेस का दावा है कि वह सभी धर्मों और समुदायों के साथ समान व्यवहार करती है और उसकी नीतियाँ धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर आधारित हैं।
कांग्रेस पर मुस्लिम परस्ती के आरोपों के मुख्य बिंदु:
1. शाहबानो केस (1985):
सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो नामक मुस्लिम महिला को तलाक के बाद गुज़ारा भत्ता देने का आदेश दिया था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दबाव में संसद में कानून बनाकर इस निर्णय को निष्प्रभावी कर दिया। इसे मुस्लिम तुष्टीकरण का उदाहरण माना गया।
2. सचिवालय में मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन:
कांग्रेस ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को बनाए रखने पर जोर दिया, जबकि कई लोगों का कहना था कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू होना चाहिए।
3. हिंदू-मुस्लिम मुद्दों पर रुख:
कांग्रेस पर कई बार यह आरोप लगाया गया कि उसने सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के दौरान संतुलित रवैया नहीं अपनाया।
4. वोट बैंक की राजनीति:
आलोचकों का कहना है कि कांग्रेस ने मुसलमानों के कल्याण के नाम पर वादे किए लेकिन उन्हें धरातल पर पूरी तरह लागू नहीं किया।
कांग्रेस का पक्ष:
कांग्रेस इन आरोपों को नकारते हुए कहती है कि उसने हमेशा धर्मनिरपेक्षता का पालन किया है और मुसलमानों सहित सभी समुदायों के विकास के लिए काम किया है।
वर्तमान राजनीतिक संदर्भ:
वर्तमान में भारतीय राजनीति में यह मुद्दा और अधिक प्रासंगिक हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और अन्य पार्टियाँ कांग्रेस पर "मुस्लिम तुष्टीकरण" के आरोप लगाकर उसे घेरती हैं, जबकि कांग्रेस खुद को सभी वर्गों के हित में काम करने वाली पार्टी बताती है।
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