गोवा की प्रारंभिक मानव बस्तियों के पुरातात्विक प्रमाण प्राचीन काल से इस क्षेत्र में मानव गतिविधियों का संकेत देते हैं। गोवा, जो आज अपनी सांस्कृतिक धरोहर और समुद्रतटीय पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, मानव सभ्यता के शुरुआती चरणों से ही महत्वपूर्ण रहा है।
प्रमुख पुरातात्विक प्रमाण:
1. पुरापाषाण युग के अवशेष:
गोवा में पुरापाषाण युग (Old Stone Age) के अवशेष मिले हैं, जो यह संकेत देते हैं कि इस क्षेत्र में उस समय भी मानव गतिविधियां थीं। नदियों के किनारे और पहाड़ी क्षेत्रों में पत्थर के औजार और हथियार मिले हैं, जो शिकार और अन्य दैनिक उपयोग के लिए बनाए गए थे।
2. चाल्कोलिथिक और नवपाषाण युग के प्रमाण:
गोवा में ज़ुएरी (Zuari) और मांडवी (Mandovi) नदियों के किनारे नवपाषाण युग के अवशेष पाए गए हैं।
ये अवशेष मुख्य रूप से मिट्टी के बर्तन, पत्थर के औजार और पॉलिश किए हुए उपकरणों के रूप में सामने आए हैं।
ये संकेत करते हैं कि यहाँ के निवासी कृषि और मछली पकड़ने जैसे कार्यों में संलग्न थे।
3. मेसोलिथिक युग की गुफाएँ:
गोवा के कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में चट्टानों पर की गई नक्काशी और गुफाओं के चित्र मिले हैं।
यह क्षेत्र उस समय के मानवों द्वारा शरण स्थलों के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
4. मोरमुगाओ और अन्य क्षेत्रों में स्मारक और औजार:
गोवा के मोरमुगाओ और उसके आसपास के क्षेत्रों में पत्थर की मूर्तियां और औजार मिले हैं। ये औजार इस बात का प्रमाण हैं कि यह क्षेत्र मानव बस्ती और उनकी गतिविधियों का केंद्र था।
5. प्राचीन मौर्य और सातवाहन साम्राज्य के अवशेष:
गोवा पर मौर्य और सातवाहन साम्राज्य का प्रभाव था, जिसके प्रमाण सिक्कों, मूर्तियों और व्यापारिक वस्तुओं के रूप में मिले हैं। यह क्षेत्र समुद्री व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र था।
6. डेरिया-द-दांडा (Chandor) में खोजे गए प्रमाण:
चंदोर, जो गोवा की एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक बस्ती रही है, यहाँ सातवाहन काल के प्रमाण मिले हैं। यह दर्शाता है कि यह स्थान प्राचीन समय में व्यापार और संस्कृति का केंद्र था।
महत्व:
इन पुरातात्विक प्रमाणों से पता चलता है कि गोवा केवल आधुनिक पर्यटन स्थल ही नहीं है, बल्कि प्राचीन मानव सभ्यता और संस्कृति का एक समृद्ध केंद्र भी रहा है। इसकी भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक संसाधनों ने इसे प्रारंभिक मानव बस्तियों के लिए आदर्श स्थल बनाया।
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