मराठा साम्राज्य की स्थापना का श्रेय छत्रपति शिवाजी महाराज को जाता है। शिवाजी महाराज ने 17वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य की नींव रखी और उसे एक शक्तिशाली और स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया। उनका योगदान राजनीतिक, सैन्य और सांस्कृतिक दृष्टि से अभूतपूर्व है।
मराठा साम्राज्य की स्थापना
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग (महाराष्ट्र) में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोंसले बीजापुर सल्तनत के अधीन एक जागीरदार थे और उनकी माता जीजाबाई ने शिवाजी के भीतर धर्म, साहस और स्वाभिमान के गुणों को जगाया। शिवाजी का सपना एक स्वतंत्र और स्वराज्य की स्थापना करना था, जिसे उन्होंने "हिंदवी स्वराज्य" कहा।
छत्रपति शिवाजी महाराज का योगदान
1. स्वराज्य की अवधारणा
शिवाजी ने विदेशी शासन और मुगलों के बढ़ते प्रभाव के विरुद्ध मराठा स्वराज्य की स्थापना की। उनका लक्ष्य एक स्वतंत्र राज्य का निर्माण करना था जहां मराठा संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित किया जा सके।
2. सैन्य संगठन और गुरिल्ला युद्ध नीति
शिवाजी महाराज ने एक मजबूत और कुशल सेना का गठन किया। उनकी गुरिल्ला युद्ध पद्धति (गणिमी कावा) ने उन्हें मुगलों और आदिलशाही जैसे शक्तिशाली साम्राज्यों के विरुद्ध सफल बनाया। उनके नेतृत्व में मराठा सेना ने दुर्गों और जंगलों का इस्तेमाल कर छोटे-छोटे हमलों के माध्यम से दुश्मनों को कमजोर किया।
3. किलेबंदी और दुर्ग नीति
शिवाजी ने कई दुर्गों का निर्माण और पुनर्निर्माण करवाया। उन्होंने ‘दुर्गों’ को सामरिक रक्षा का केंद्र बनाया। उनके प्रमुख दुर्गों में रायगढ़, प्रतापगढ़, सिंहगढ़ और राजगढ़ शामिल हैं। रायगढ़ को उन्होंने अपनी राजधानी बनाया और यहीं उनका राज्याभिषेक हुआ।
4. राज्याभिषेक
शिवाजी का 6 जून 1674 को रायगढ़ किले में विधिवत राज्याभिषेक हुआ और उन्हें "छत्रपति" की उपाधि मिली। इससे मराठा साम्राज्य की स्वतंत्रता का औपचारिक ऐलान हुआ और शिवाजी ने हिंदू शासक के रूप में अपनी पहचान स्थापित की।
5. प्रशासनिक सुधार
शिवाजी ने एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की। उनके प्रशासन में कई विभागों का गठन हुआ:
अष्टप्रधान मंडल: यह आठ प्रमुख मंत्रियों का समूह था। इसमें पेशवा, सेनापति, अमात्य आदि प्रमुख पद शामिल थे।
राजस्व व्यवस्था: उन्होंने किसानों की स्थिति सुधारने के लिए कर प्रणाली में बदलाव किया और अन्यायपूर्ण करों को समाप्त किया।
6. धार्मिक सहिष्णुता
शिवाजी धार्मिक सहिष्णु शासक थे। उन्होंने मुस्लिम धार्मिक स्थलों और मस्जिदों की रक्षा की। उनके सैनिकों में सभी धर्मों के लोग शामिल थे।
7. मुगलों और अन्य सल्तनतों के विरुद्ध संघर्ष
शिवाजी ने मुगल सम्राट औरंगजेब के खिलाफ निर्णायक लड़ाइयाँ लड़ीं और मुगलों की शक्ति को कमजोर किया। उन्होंने बीजापुर और गोलकुंडा की सल्तनतों से भी सफलतापूर्वक संघर्ष किया।
निष्कर्ष
छत्रपति शिवाजी महाराज की दूरदर्शिता, नेतृत्व क्षमता और सैन्य कौशल के कारण मराठा साम्राज्य एक मजबूत शक्ति बन सका। उन्होंने न केवल स्वराज्य की नींव रखी, बल्कि उनके आदर्शों पर चलकर मराठाओं ने आगे चलकर पूरे भारत में मुगलों को कमजोर कर दिया। उनके संघर्ष और उपलब्धियाँ भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हैं।
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