मखाना एक प्रचलित ड्रायफ्रूट है जो भारत में लगभग हर प्रमुख मौके में उपयोग में लाया जाता है। चाहे धार्मिक अनुष्ठान हो या गोद भराई ,शादी पार्टी हो या कोई मिठाई बनानी हो , जिम करते हो , बच्चों के लिए स्नेक्स तैयार करना हो मखाना उपयोगी साबित होता है । कैल्शियम का अच्छा श्रोत तो ये है ही ।
लेकिन मखाना खरीदे के पहले क्या आपको इसके निर्माण और ग्रेडिंग की कोई जानकारी थी।
चलिए आज हम इसी तथ्य पर चर्चा करेंगे ।
मखाना का सबसे अधिक उत्पादन कहां होता है?
मखाना (फॉक्स नट्स) का सबसे अधिक उत्पादन भारत में होता है, और इसमें बिहार अग्रणी राज्य है।
बिहार का मिथिलांचल क्षेत्र (दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार और सुपौल जिले) मखाना उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
बिहार विश्व में मखाने का लगभग 80-85% उत्पादन करता है।
इसके अलावा, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, और मणिपुर जैसे राज्यों में भी मखाना की खेती की जाती है।
मखाना निर्माण की प्रक्रिया (Processing):
मखाना के निर्माण की प्रक्रिया कई चरणों में होती है:
1. पानी में खेती:
मखाने का पौधा तालाब, झील, या स्थिर जल स्रोतों में उगाया जाता है।
पौधों से मखाने के बीज (फॉक्स नट्स) पानी से निकाले जाते हैं।
2. बीज संग्रह:
पौधों के बीज को तालाब से हाथ से या जाल की मदद से इकट्ठा किया जाता है।
बीज काले रंग के और कठोर खोल वाले होते हैं।
3. सुखाना:
इकट्ठा किए गए बीजों को धूप में 2-3 दिन तक सुखाया जाता है।
सूखने के बाद बीज हल्का सख्त हो जाता है।
4. भुनाई (Roasting):
सूखे बीजों को मिट्टी की कढ़ाई में धीमी आंच पर भुना जाता है।
यह प्रक्रिया श्रमसाध्य होती है और सही तापमान पर की जाती है।
5. क्रैकिंग (फोड़ना):
भुने हुए बीजों को हथौड़े या मशीन की मदद से फोड़ा जाता है ताकि मखाने के अंदर का सफेद हिस्सा निकाला जा सके।
6. सफाई (Sorting):
फूटे हुए बीजों को हाथ या मशीन से साफ किया जाता है।
इन्हें आकार और गुणवत्ता के अनुसार ग्रेड किया जाता है।
7. सुखाना (Final Drying):
तैयार मखाने को अंतिम रूप से सुखाया जाता है ताकि नमी न रहे और ये लंबे समय तक खराब न हों।
उसके बाद आती है ,ग्रेडिंग की प्रक्रिया, जिसमें मखाने के आकार और साइज के आधार पर छटाई की जाती है ,यह काम अब मशीनों द्वारा भी किया जाने लगा है ।
मखाने की ग्रेडिंग आमतौर पर उनके आकार, गुणवत्ता, और रंग के आधार पर की जाती है। ग्रेडिंग मुख्य रूप से निम्नलिखित आकारों में की जाती है:
1. ग्रेड-1 (Big/King Size)
आकार: 14-16 मिमी या उससे बड़ा।
विशेषताएँ: यह सबसे बड़ा और उच्च गुणवत्ता का मखाना होता है। इसे प्रीमियम ग्रेड माना जाता है और आमतौर पर निर्यात और ब्रांडेड पैकेजिंग में उपयोग किया जाता है।
2. ग्रेड-2 (Medium Size)
आकार: 10-14 मिमी।
विशेषताएँ: मध्यम आकार का मखाना, जो घरेलू उपयोग और स्थानीय बाजारों में लोकप्रिय होता है।
3. ग्रेड-3 (Small Size)
आकार: 8-10 मिमी।
विशेषताएँ: यह छोटे आकार का होता है और इसका उपयोग अक्सर नमकीन या अन्य खाद्य उत्पादों में किया जाता है।
4. ग्रेड-4 (Baby Makhana)
आकार: 5-8 मिमी।
विशेषताएँ: सबसे छोटा ग्रेड, जो अक्सर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, पाउडर, या अन्य व्यंजनों में उपयोग होता है।
ग्रेडिंग के आधार पर मूल्य:
बड़े और उच्च गुणवत्ता वाले मखाने (ग्रेड-1) का मूल्य अधिक होता है।
छोटे और मध्यम आकार के मखाने सस्ते होते हैं और सामान्य उपयोग के लिए उपयुक्त होते हैं।
ग्रेडिंग प्रक्रिया:
मखाने को उनके आकार और गुणवत्ता के अनुसार अलग करने के लिए सॉर्टिंग मशीन या मैन्युअल सॉर्टिंग का उपयोग किया जाता है।
तैयार मखाने को बाजार में बेचने के लिए प्लास्टिक बैग या ब्रांडेड पैकेजिंग में पैक किया जाता है।
उद्योग का महत्व:
मखाना उत्पादन एक महत्वपूर्ण ग्रामीण उद्योग है, जो हजारों किसानों और श्रमिकों को रोजगार देता है।
कैल्शियम का अच्छा श्रोत यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है इसी ह कारण घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अत्यधिक मांग में है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें