ढाकेश्वरी मंदिर बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व वाला मंदिर है। यह मंदिर बांग्लादेश के हिंदू समुदाय का प्रमुख धार्मिक स्थल है और इसे ढाका का राष्ट्रीय मंदिर भी कहा जाता है।
पुरातात्विक महत्व
1. स्थापना का काल:
माना जाता है कि ढाकेश्वरी मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में बल्लाल सेन (सेन वंश के राजा) ने करवाया था। यह मंदिर प्राचीन बंगाल के गौरवशाली इतिहास का प्रमाण है।
2. नाम का अर्थ:
"ढाकेश्वरी" का अर्थ है "ढाका की देवी"। यह नाम ढाका शहर के इतिहास से जुड़ा है। माना जाता है कि देवी की मूर्ति राजा बल्लाल सेन को ढाका के पास मिली थी, इसलिए उन्होंने यहाँ मंदिर बनवाया।
3. वास्तुकला और शैली:
मंदिर की वास्तुकला प्राचीन बंगाली शैली में है और इसमें कई गुंबद तथा कलात्मक स्तंभ बने हुए हैं।
समय के साथ मंदिर में पुनर्निर्माण और मरम्मत होती रही है, लेकिन मूल ढांचा और उसकी कलात्मक शैली प्राचीन इतिहास को दर्शाती है।
परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर और धार्मिक मूर्तियाँ स्थित हैं।
4. धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र:
मंदिर न केवल पूजा का स्थान है, बल्कि यह धार्मिक त्योहारों और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र भी है।
यह मंदिर बंगाल की धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समन्वय का उदाहरण है।
5. पुरातात्विक अवशेष:
मंदिर के परिसर में कई मूर्तियाँ और प्राचीन कलाकृतियाँ मौजूद हैं, जो सेन वंश और अन्य शासकों के काल की हैं। इनसे उस समय की कला, शिल्प और धार्मिक मान्यताओं का अध्ययन किया जा सकता है।
6. इतिहास के उतार-चढ़ाव:
कई बार युद्धों, आक्रमणों और समय के प्रभाव के कारण मंदिर को क्षति पहुँची।
1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान भी इस मंदिर को नुकसान पहुँचा, लेकिन इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व जस का तस बना रहा।
7. राष्ट्रीय धरोहर:
आज ढाकेश्वरी मंदिर को बांग्लादेश की राष्ट्रीय धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह देश के सांस्कृतिक इतिहास का अहम हिस्सा है।
उपसंहार
ढाकेश्वरी मंदिर ढाका के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का प्रतीक है। यह मंदिर प्राचीन बंगाल की कला और वास्तुकला के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। इसका पुरातात्विक महत्व न केवल बांग्लादेश, बल्कि दक्षिण एशिया के
सांस्कृतिक इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें