गोवा, भारत का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिस पर विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का प्रभाव पड़ा है। जैन और बौद्ध धर्म, जो प्राचीन भारतीय सभ्यता के प्रमुख धार्मिक और दार्शनिक आंदोलन में से थे, गोवा पर भी अपने प्रभाव छोड़ने में सक्षम रहे हैं।
जैन धर्म का प्रभाव:
1. प्राचीन इतिहास: गोवा में जैन धर्म का प्रभाव 3वीं से 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान मौर्य और सातवाहन साम्राज्य के विस्तार के समय देखने को मिलता है। यह वह समय था जब जैन धर्म दक्षिण भारत में तेजी से फैल रहा था।
2. मंदिर और मूर्तियाँ: गोवा के कुछ क्षेत्रों में जैन मूर्तियों और मंदिरों के अवशेष पाए गए हैं। कर्नाटक और गोवा के निकट संबंध के कारण, जैन मुनियों का यहाँ प्रवास हुआ।
3. जैन प्रभाव वाले स्थान:
गोम्पा या बस्ती: पुराने समय में जैन मुनियों ने यहाँ मठों की स्थापना की।
मूदबिद्री और श्रवणबेलगोला जैसे कर्नाटक के केंद्रों का प्रभाव गोवा पर भी पड़ा।
बौद्ध धर्म का प्रभाव:
1. अशोक काल और प्रचार: अशोक के शासनकाल (3री शताब्दी ईसा पूर्व) में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ। गोवा, अशोक के साम्राज्य के पश्चिमी तटीय हिस्से का भाग था।
2. सांस्कृतिक प्रभाव: गोवा में बौद्ध धर्म के प्रभाव को यहाँ के प्राचीन शिलालेखों और शिल्पकला में देखा जा सकता है। बौद्ध धर्म ने यहाँ अहिंसा, करुणा और सह-अस्तित्व के विचारों को प्रोत्साहित किया।
3. स्तूप और अवशेष: गोवा के कुछ स्थानों पर बौद्ध स्तूप और मठों के अवशेष मिले हैं, जो इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म के प्रसार की पुष्टि करते हैं।
4. प्रमुख स्थल:
चंद्रपुर (वर्तमान चांदोर): यहाँ बौद्ध धर्म के अवशेष और प्रभाव पाए गए हैं।
गोवा के शिलालेख: इनमें बौद्ध धर्म के सांस्कृतिक प्रभाव के प्रमाण मिलते हैं।
धार्मिक सह-अस्तित्व:
गोवा में जैन और बौद्ध धर्म दोनों ने स्थानीय संस्कृति, वास्तुकला और दार्शनिक दृष्टिकोण को प्रभावित किया। बाद में, हिंदू धर्म, इस्लाम और ईसाई धर्म के प्रभावों के कारण जैन और बौद्ध धर्म का प्रभाव यहाँ कम हो गया, लेकिन उनकी विरासत आज भी इतिहास और पुरातत्त्व में संरक्षित है।
निष्कर्ष:
जैन और बौद्ध धर्म ने गोवा में न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर भी अमूल्य योगदान दिया। उनके प्रभाव आज भी यहाँ के इतिहास और कला में परिलक्षित होते हैं।
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